उर्जान्चल की ख्याति प्राप्त किलर रोड औडी-शक्तिनगर मार्ग के फोरलेन निर्माण का हुआ शुभारम्भ।

अनपरा ,सोनभद्र।उर्जान्चल की ख्याति प्राप्त किलर रोड औडी-शक्तिनगर मार्ग के फोरलेन निर्माण का विधिविधान पूर्वक भूमि पूजन कर हुआ शुभारम्भ।बताते चले कि 120 करोड़ की अनुमानित लागत से वाराणसी -शक्तिनगर( SH-5A)औडी-शक्तिनगर लम्बाई 18.287 किलोमीटर है जो तीन चरण में बनेगा।

वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य घण्टो भूमि पूजन के बाद नरियल तोड़ कर कार्य को प्रारम्भ किया गया।इस अवसर पर ओबरा विधान सभा के विधायक संजीव कुमार गौड़,सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मिश्रा,आशीष मिश्रा, बल्केश्वर सिंह, के सी जैन,वी के सिंह ,रवि उर्फ बड़कू गौड़, एस के गौतम,नितेश सिंह चौहान ,अजीत सिंह कंग,प्रभाशंकर मिश्रा,अनिल सिंह,सुरेश सिंह,टी एन सिंह ,अधिशासी अभियन्ता उदय नारायण,सहायक अभियंता कृष्ण चंद सिंह,उमेश चंद सिंह,सुनील कुमार सिंह,अमित कुमार सिंह कुलदीप संजय पाठक,दिनेश सिंह ,शेष नाथ सिंह,विश्राम बैसवार सहित भारी संख्या में लोग भूमि पूजन में शामिल हुये।

गौरतलब है कि औडी-शक्तिनगर मार्ग को फोरलेन मे परिवर्तित किये जाने हेतु एनजीटी ने लगातार बनाई रखी थी सख्ती परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार के विभागीय लापरवाही के कारण 17 महीने तक प्रारम्भ नही हो सका था कार्य।
* औडी-शक्तिनगर मार्ग मे नही सर्विस लेन, सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था व अन्य सडक दुर्घटना से सुरक्षा के उपाय।
:- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गम्भीर प्रदुषण प्रभावित क्षेत्र के रुप मे चिन्हित सोनभद्र के औडी-शक्तिनगर मार्ग को फोरलेन मे परिवर्तित किये जाने का निर्माण कार्य एनजीटी के लगातार सख्ती बनाये रहने के बावजुद आज 17 मास उपरांत औडी के नेहरु चौक पर विधि-विधान से पुजन के उपरांत प्रारम्भ हुआ जिस दरम्यान ओबरा विधायक संजय सिंह गोंड, जिला पंचायत सदस्यकुलडोमरी बालकेश्वर सिंह, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि अनपरा मनीश श्रीवास्तव, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मिश्रा, केसी जैन, आशीष मिश्रा, कुलदीप सिंह, वीके सिंह, ज्योति प्रकाश समेत सैकडो नागरिक मौजुद रहे। औडी-शक्तिनगर मार्ग को वर्षो पहले ही फोरलेन मे परिवर्तित हो जाना था परन्तु सरकारो की लापरवाही ही थी की जनपद की सबसे ज्यादा दुर्घटना बाहुल्य सडक होने के उपरांत, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप, हरित अधिकरण के हस्तक्षेप के उपरांत कही जाकर सुध आई कि यह सडक असमायिक मौते और सडक दुर्घटना से विकलांगता बाट रही है तथा अब इसका निर्माण कार्य प्रारम्भ होना चाहिये जिसका निर्माण कार्य आज प्रारम्भ हुआ है।
जब यह सडक जानी गयी किलर रोड के नाम से,,,
:- अगर आज से लगभग पांच साल पीछे चले जाये तो वाराणसी-शक्तिनगर सम्पुर्ण मार्ग की हालत इस कदर थी की लग्जरी गाडिया भी हाथी की चाल चलती थी जिसका प्रमुख कारण ओवरलोड वाहनो का आवागमन था। उस समय अनपरा परिक्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मिश्रा ने न्यायालय मे याचिका दाखिल की और कहा कि इन सडको पर ओवर लोड वाहनो का परिचालन बन्द होना चाहिये तथा सडके जर्जर अवस्था मे है व सडको पर दुर्टनाओ के माध्यम से सरकार मौत बाट रही है तथा उस दौर मे ही इस सडक का नाम किलर रोड प्रचलित हुआ । जिस पर नाराजगी जताते हुये माननीय न्यायालय ने वाराणसी-शक्तिनगर सम्पुर्ण मार्ग को फोरलेन मे परिवर्तित किये जाने का आदेश दिया परन्तु दुर्भाग्य की बसपा सरकार जो तत्समय सत्ता मे थी चुनाव हार गई और कवायद परिणाम न पा सकी। जिसके उपरांत सपा शासन काल मे अखिलेश यादव ने इस सडक को फोरलेन मे परिवर्तित किये जाने की पहल की पर उनके विकास के हौसले भी हाथीनाला आते-आते पस्त हो गये फिर भी वाराणसी-हाथीनाला तक फोरलेन बनने से लोगो को वाराणसी तक आवागमन मे राहत जरुर मिली परन्तु जिस सडक औडी-शक्तिनगर मार्ग पर सर्वाधिक दुर्घटनाये होती थी वह उन्ही जर्जर हालातो मे पडी रही। सपा सरकार ने अपने अन्तिम दौर मे औडी-शक्तिनगर मार्ग को फोरलेन बनाये जाने की कवायद की परन्तु इन्टरस्टेट कनेक्टिवीटी सडक होने के कारण फाईल केन्द्र सरकार के पास धुल फांकती रही व अन्ततः सपा सरकार चुनाव मे दोबारा मौका न पा सकी व निर्माण कार्य न हो सका तथा अनवरत् औडी-शक्तिनगर मार्ग मौते व विकलांगता बाटती रही।

एनजीटी का हस्तक्षेप कैसे हुआ,,,,,,
एनजीटी मे सोनभद्र सिंगरौली मे व्याप्त भयावह प्रदुषण को लेकर सूनवाई के क्रम मे एनजीटी प्रदुषण सम्बन्धित तथ्यो व स्थिति को जानने के उद्देश्य से कोर कमेटी का गठन किया गया जिसने सोनभद्र मे अपने दौरे पर जाना कि सडक दुर्घटनाओ का प्रमुख कारण जर्जर सडक ही है तथा जर्जर सडको पर राख, कोयला मिश्रित उडने वाली धुल भी वायु प्रदुषण का प्रमुख कारण है तथा वर्ष 2015 मे एनजीटी को कोर कमेटी द्वारा अपनी सौपी गयी रिपोर्ट मे कहा कि Poor road conditions in the area are also one of the major sources of pollution. It is therefore recommended that the respective State Governments should take immediate measures to improve the road conditions in the area time bound manner and ensure regular maintenance तथा औडी-शक्तिनगर मार्ग के संदर्भ मे वर्ष 2018 मे सौपी अपनी रिपोर्ट मे कहा कि The Awdi-Shaktinagar Marg and Singrauli-Awdi -Dibulgunj Marg are extensively used for heavy traffic and for clandestine coal transport leading to dust pollution. Further, the dense population which are residing along these roadsides are severely affected by dust pollution. As has been mentioned, coal transportation by open truck is to be banned forthwith CCTV cameras are to be installed at strategic location to record any violation in this regard. जिसके उपरांत माननीय हरित अधिकरण द्वारा कमेटी की अनुंशसाओ को अगस्त, 2018 मे आदेश पारी कर अपने आदेश मे परिवर्तित कर दिया तथा इस प्रकार औडी-शक्तिनगर मार्ग को फोरलेन बनाये जाने का मुद्दा एनजीटी के हस्तक्षेप का विषय भी हो गया तथा तथा इन आदेशो के अनुपालन हेतु ओवरसाईट कमेटी का गटन होने के पश्चात एनजीटी का इस सडक के फोरलेन निर्माण हेतु रुख और ज्यादा सख्त हो गया तथा एनजीटी की सख्ती ही आज इस सडक के फोरलेन निर्माण कार्य के प्रारम्भ होने का प्रमुख कारण है।

सडक को फोरलेन बनाये जाने हेतु शासन से धन अवमुक्त होने तथा निविदा प्रक्रिया पुर्ण होने के उपरांत भी क्यो नही प्रारम्भ हुआ 17 महीने तक निर्माण कार्य ?? सडक निर्माण कार्य से प्रभावित भूमियो हेतु वन विभाग से लीज/क्लियरेंस लेना सही अथवा गलत ??
औडी-शक्तिनगर मार्ग के फोरलेन निर्माण को लेकर कहे तो मानिये इसके निर्माण कार्य की कुण्डली मे सदैव राहु-कैतु बैठे रहे है।वर्ष 2018 मे शासन से सडक निर्माण हेतु धन अवमुक्त होने तथा निविदा प्रक्रिया पुर्ण होने के उपरांत एक नई बात सामने आई की अधिकतम भूमिया या तो अन्य प्रतिष्ठानो की है अथवा किसानो की है तथा भौमिक विवाद उलझा हुआ ही था कि वन विभाग शनि कि भूमिका मे सडक के निर्माण कार्य पर हावी हो गया तथा सडक का निर्माण कार्य जिस भूमि पर प्रारम्भ होना था चाहे व प्रतिष्ठानो व किसानो की ही क्यो ना हो वन संरक्षण अधिनियम-1980 के अनुसार क्लियरेंस/लीज लेना आवश्यक बताते हुए निर्माण कार्य मे नया पेंच फसा दिया गया तथा सडक का निर्माण कार्य प्रारम्भ न हो सका, वन विभाग के इस आपत्ति का आधार इन भूमियो को भारतीय वन अधिनियम-1927 के धारा-4 1(ए) के प्राविधानानुसार रक्षित वन भूमि घोषित किये जाने हेतु विग्यापित किया जाना था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने कई फैसलो मे कहा है कि यदि धारा-4 कि विग्यप्ति से कोई भूमि यदि न्यायायिक प्रक्रिया अथवा किन्ही कारणो से बाहर की जाती है तथा बाहर कि गयी भूमियो का धारा-4 कि विग्यप्ति के पुर्व नेचर वन नही है तो क्लियरेंस/लीज लेने की आवश्यकता नही है व धारा-4 की विग्यप्ति से पुर्व इन भूमियो का नेचर वन नही था तथा इस पर किसानो का जोत-कोड व कब्जा था जिसके आधार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनवासी सेवा आश्रम बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मे 20.11.1986 को पारित आदेश मे सर्वे बन्दोबस्त प्रक्रिया के दरम्यान यह भूमिया धारा-4 कि विग्यप्ति से पृथक की गयी अब सडक निर्माण से प्रभावित होने वाली भूमियो हेतु वन विभाग से लीज/क्लियरेंस लेना सही अथवा गलत यह शोध का विषय है। पर यह जगजाहिर है कि वन विभाग की आपत्ति के कारण वश ही मुख्यतः सडक निर्माण कार्य रुका रहा।

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