सोनभद्र। जिले के उभ्भा गोलीकाण्ड में आदिवासियों को न्याय दिलाने को लेकर योगी सरकार भले ही उनका हितैषी बता रही हो लेकिन सोनभद्र पुलिस की कार्य गुजारी का आलम यह है कि पिछले 10 वर्षों से एक युवक मृतक आश्रित कोटा से नौकरी की फाइल को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक का 150 बार चक्कर लगा चुका है

पर उसकी सुनवाई मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद नही हो सकी। विभागीय अधिकारियों व सियासतदारों का चक्कर लगा कर हार मान चुके युवक देवमणि ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भारत की नागरिकता खत्म करने की मांग किया है। पीडित देवमणि पाठक जो खम्हरिया कला जिला मिर्जापुर के रहने वाले है।

इनके पिता कौशल प्रसाद पाठक यूपी पुलिस में सिपाही पद पर सोनभद्र जिला में तैनात थे। देवमणि पाठक ने बताया कि वर्ष 2010 पिता की मौत के समय वह नाबालिक थे तो उनकी माता जी ने मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की मांग किया। जिसके लिए वह आवेदन किया और पुलिस विभाग ने कागजी कार्यवाही पूरी कराया लेकिन पुलिस विभाग की लापरवाही के कारण उसे मृतक आश्रित कोटे की नौकरी से वंचित कर दिया गया। जिसको लेकर वह पुलिस अधीक्षक सोनभद्र, डीआईजी विन्ध्याचल मण्डल , आईजी वाराणसी जोन, डीजीपी और सीएम योगी आदित्यनाथ से मिला लेकिन कोई सुनावाई नही हुई। देवमणि ने बताया कि पुलिस विभाग के लोग उसे कागजातों की खानापूर्ति कराते रहे और इसी बीच उसकी मां का भी देहान्त हो गया। यहां तक कि पुलिस विभाग द्वारा उससे दौड़ , मेडिकल समेत और भी प्रक्रिया पूरी कराया गया यहां तक की सपा सरकार में मृतक आश्रित कोटे के नियम में संशोधन भी कर दिया था। अब पुलिस अधीक्षक सोनभद्र और उच्चाधिकारियों द्वारा कहा जाता है कि पांच वर्ष के अंदर मृतक आश्रित को नौकरी मिल जाती है लेकिन आपका समय ज्यादा हो चुका है इसलिए नौकरी मिलना सम्भव नही है। इसलिए वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग किया है कि जब भारत का नागरिक रहने पर न्याय नही मिल रहा है तो उसकी व उसके परिवार की भारतीय नागरिकता को समाप्त कर दिया जाय।
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