भ्राता लक्ष्मण को मूर्छित देख व्याकुल हुए प्रभु श्रीराम

रेणुकूट, दिनांक 07 अक्टूबर – हिण्डाल्को रामलीला परिषद् के कलाकारों द्वारा हिण्डाल्को रामलीला मैदान पर आठवें दिन रावण द्वारा युद्ध की मोर्चाबन्दी, अंगद-रावण संवाद, राम द्वारा युद्ध की मोर्चाबन्दी एवं लक्ष्मण शक्ति आदि लीलाओं का बहुत ही सजीवता से मंचन किया गया। रावण को ज्ञात होने पर कि श्री राम ने समुद्र पर सेतु बांध लिया गया है है और वानर सेना लंका पर चढ़ाई को बढ़ रही है तो रावण युद्ध की तैयारी में लग जाता है और पूरे किले की मोर्चाबन्दी कर लेता है। उधर लंका पहुंच कर श्री राम रावण को एक बार पुनः समझाने के उद्देश्य से अंगद को रावण दरबार में अपना दूत बना कर भेजते हैं जहां दंभ में डूबा रावण श्री राम के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए कहता है कि मैं चुटकी में वानर सेना को मसल दूंगा। इस पर अंगद को तैश आ जाता है और अपना पैर जमीन पर दृढ़ता से रखकर रावण व उनके दरबार के योद्धाओं को चुनौती देते है कि पहले जमीन से मेरा पैर हिला कर दिखाओं फिर प्रभु राम पर विजय पाने की सोचना। एक के बाद एक रावण के धुरन्धर आते है पर थक जाते हैं और अंगद का पैर जमीन से टस से मस नहीं होता तब स्वयं रावण आगे बढ़ते है और अंगद के पैरों को हिलाने को पकड़ते है तो अंगद बोलते है कि अगर अपना और अपने कुल का भला चाहते हो तो मेरे नही बल्कि प्रभु राम के चरणों में झुको तुम्हारा कल्याण होगा। रावण और क्रोधित हो जाता है और युद्ध के लिए तैयार रहने को कहता है। अंगद के लौटने पर श्री राम और उनकी वानर सेना भी युद्ध की तैयारी में जुट जाते हैं। आठवें दिन की अंतिम लीला में मेघनाद लक्ष्मण को शक्ति बाण मारते हैं जिससे लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर पड़ते हैं यह देखकर प्रभु राम व्याकुल हो उठते हैं और पूरे लीला प्रेमियों के बीच सन्नाटा छा जाता है। अंत में हनुमान जी सारी कठिनाईयों को पार करते हुए संजीवनी बूटी लेकर आते हैं और वैद्यराज सुशेन के उपचार से लक्ष्मण ठीक होकर उठ जाते हैं और भगवान श्रीराम सहित चारों तरफ वानर सेना और लीला प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ जाती है।
रामलीला परिषद के अध्यक्ष, वी0एन0 झा ने बताया कि नवें दिन सोमवार को कुम्भकरण वध, मेघनाद वध, अहिरावण वध एवं राम-रावण युद्ध आदि लीलाओं का मंचन किया जाएगा।

शक्ति बाण लगने के बाद प्रभु श्रीराम की गोद में मूर्छित पड़े भ्राता लक्ष्मण

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