सोनभद्र।नवरात्र को प्रकृति पूजा का महीना माना जाता है, नवरात्र पूजन में जई बोने की परंपरा कायम है, नवरात्र में मां दुर्गा की कलश स्थापना, जई यानी मिट्टी के पिंडी में बोया गया जौ इसमे माता का वास माना जाता है और बड़ी सात्विकता, शुद्धता, आस्था और विश्वास के साथ मां की मूर्ति के साथ- साथ कलश, जई को स्थापित कर उसकी भी पूजा की जाती है।

मां दुर्गा को संघार की देवी माना जाता है और पृथ्वी पर शांति स्थापना के लिए उन्होंने दुष्ट राक्षसों का वध किया था, नवरात्र में भक्त मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ ब्राह्मणों अथवा स्वयं करके लोक कल्याण की कामना से करते हैं।
जनपद सोनभद्र के मुख्यालय रावटसगंज में साईं चौराहे पर स्थित मां दुर्गा, शिव परिवार का मंदिर भक्तजनों के आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है, इस मंदिर की स्थापना दो दशक पूर्व एक भक्तजन वृद्ध महिला द्वारा कराया गया था

और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करा कर छोटे स्तर पर ही पूजा पाठ का आरंभ हुआ था,

साहित्यकार दीपक केशरवानी ने बताया कि कालांतर में भक्तजनों द्वारा मां वैष्णो देवी के तर्ज पर इस मंदिर में गुफा और पहाड़ी रास्ते का निर्माण कराया गया और जो भक्तजन मां वैष्णो देवी की तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते वे इस मंदिर मैं आकर टेढ़े -मेढ़े, उबड़- खाबड़, घुमावदार रास्ते से ऊपर चढ़कर और फिर नीचे उतर कर मां का दर्शन कर पुण्य प्राप्त करते हैं और मां वैष्णो देवी की यात्रा का आनंद लेते आज यह मंदिर अपनी भव्यता को प्राप्त है और इस मंदिर के साथ- साथ भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मूर्ति गुफा में स्थापित है, भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस मंदिर पर अपनी मान्यताएं करते हैं और मनौती पूर्ण होने पर मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं।
प्रत्येक वर्ष नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी, नवमी के दिन मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है और नवमी के दिन हवन पूजन के साथ साथ नवरात्र का समापन भी किया जाता है और इस दिन मंदिर समिति द्वारा भक्ति संध्या का भी आयोजन किया जाता है और दूरदराज के आए हुए कलाकार मां के चरणों में अपनी कलात्मक प्रस्तुति देकर भक्तों को आध्यात्मिक सुख शांति प्रदान करते हैं।
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