समर जायसवाल दुद्धी –
दुद्धी- नगर के तहसील परिषर श्रीरामलीला कमेटी के तत्वाधान में चल रहे श्रीरामलीला मंचन में प्रभु श्रीराम व माँ जानकी के विवाह की लीला का बड़ा ही मार्मिक मन्चन किया गया , जिसे देखकर उपस्थित श्रद्धालु मन्त्रमुग्ध हो गये।
राजा जनक ने अपने पुत्री सीता के विवाह हेतु प्रतिज्ञा की शर्त रखी थी कि जो कोई इस शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ायेगा उसी से सीता का विवाह होगा। इस हेतु राजा जनक ने स्वंयम्बर भी आयोजित किया जिसमें देश देश के राजा राजकुमार आये और धनुष पर डोरी लगाने का प्रयास करने लगे।यह क्या किसी भी राजा राजकुमार ने डोरी लगाना तो दूर उस धनुष को हिला भी नही पाये,इस दृश्य को देख कर राजा जनक का सन्ताप और भी बढ़ गया वो क्रोध के मारे कुछ ऐसा कह गए जिसे सुनकर लक्ष्मण को अच्छा नही लगा।वहाँ मुनि विश्वामित्र सहित श्रीराम व लक्ष्मण अपने गुरु के साथ स्वयम्बर देखने आए थे। जनक जी के बात को सुनकर लक्ष्मण जी ने कहा कि रघुवंशीयों के सभा में होते हुए कोई ऐसी बात सोच भी नही सकता,ऐसी बाते सुनकर मुनि ने उन्हें शांत किया।
फिर मुनि ने श्री राम को आदेश दिया कि आप राजा जनक के संताप को दूर कीजिये व उनकी शर्त भी पूर्ण कीजिये। गुरु के आदेश से श्रीराम ने शिव जी के धनुष को जैसे ही उठाया और डोरी खिंची की वह शिव धनुष टूट गया। शिव धनुष के भंग होते ही चारो ओर श्रीराम की जयजयकार होने लगी।
अब समय आ गया सीता विवाह का, श्री राम ने राजा जनक के शर्त को जैसे ही पूर्ण किया उधर सीता जी वरमाला लेकर श्रीराम की ओर आ रही थी। जैसे ही सीता जी ने श्रीराम के गले में जयमाला डाली पूरे जनकपुर में प्रसन्नता छा गयी तथा चारो ओर राम जानकी के जयकारे की गूंज से गुंजित हो गयी।
जयमाल के बाद राजा जनक ने पूरे रश्म के साथ विवाह हेतु राजा दशरथ को अयोध्या से बारात जनकपुर लाने का निमंत्रण भेजा।
इधर अयोध्या में श्री राम व उनके अनुज लक्ष्मण,भरत तथा शत्रुघ्न के विवाह का निमंत्रण मिलते ही चारों ओर खुशी छा गयी।
राजा दशरथ पूरे अयोध्या वासियों के साथ शुभ मुहूर्त में बारात लेकर जनकपुर आये। वहाँ पूरे विधि विधान से विवाह की रश्म पूरी हुई तथा राजा जनक के निवेदन पर राजा दशरथ के तीन और पुत्रों से राजा जनक के भाई कुशध्वज की तीनों पुत्रियों का भी विवाह सम्पन्न हो गया। श्रीराम का जानकी से, लक्ष्मण का उर्मिला से, भरत का माण्डवी से व शत्रुघ्न का श्रुतिकृति से विवाह पूरे विधि विधान से सम्पन्न कराया गया।
अयोध्या से आयी बारात का स्वागत आयोजन कमेटी द्वारा किया गया। प्रभु श्री राम सहित सभी भाइयों व गुरुदेव को प्रथम भोग प्रसाद कमेटी के महामंत्री आलोक अग्रहरि, मंत्री पीयूष एड द्वारा लगाया गया।
परंपरागत रूप से उपस्थित सभी श्रद्धालु दर्शकों को भी प्रसाद वितरित किया गया।
इससे पूर्व बारात आने पर जनकपुर की सखियों द्वारा बाराती गणों के स्वागत में मांगलिक गीत से वातावरण गुंजायमान किया गया। जिसका आनंद सभी ने लिया।
आज श्री राम जानकी जी के विवाह की लीला का मार्मिक मन्चन को देखकर सभी उपस्थित जन आनंदित व मन्त्रमुग्ध हो गए।