आरएसएस-भाजपा के बढ़ने में सपा-बसपा मार्का बहुजन राजनीति जिम्मेदार।
जातीय राजनीति को छोड़ जन राजनीति के साथ आए दलित, आदिवासी – दारापुरी।
मजदूर किसान मंच के सम्मेलन में उठी भूमि आयोग के गठन की मांग।
सोनभद्र। आज यदि आरएसएस- भाजपा इतनी ताकतवर होकर उभरी है और देष में तानाषाही थोप रही है तो इसकी जिम्मेदारी सपा-बसपा-लालू मार्का कारपोरेट-सामंत परस्त बहुजन राजनीति को जाती है। 90 के दषक से षुरू हुई इस बहुजन राजनीति ने कभी भी मजदूर किसान को उठने नहीं दिया।
इनके एजेण्डे में कभी भी लोगों की जिदंगी के लिए अहम जमीन जैसे सवाल को हल करना नहीं रहा। इस बहुजन राजनीति ने डा0 अम्बेडकर, लोहिया, पेरीयार और ज्योति बा फूले के जातीय विनाष के सिद्धांत पर काम करने की जगह जातीय पहचान को मजबूत करने का काम किया और कभी नागरिक बोध पैदा होने नहीं दिया। इसलिए देश में महज सभी दलों का गठबंधन बनाकर आरएसएस-भाजपा की फासीवादी राजनीति का मुकाबला नहीं किया जा सकता इसके लिए उन नीतियों को बदलने की जरूरत है जिनके कारण भाजपा-आरएसएस आज सत्ता तक पहुंची है और तानाषाही थोपने में लगी है। जनपक्षधर नीतियों पर खड़ी जन राजनीति ही आरएसएस-भाजपा की फासीवादी राजनीति का मुकाबला करेगी।
सामाजिक न्याय के मुलायम, मायावती, लालू मार्का कारपोरेट-सामंत परस्त माडल की जगह मजदूर किसान माडल को विकसित किया जायेगा। जिसके केन्द्र में जमीन, रोजगार, षिक्षा, स्वास्थ्य, सहकारी खेती, पर्यावरण समेत कोल व अन्य आदिवासियों की पहचान के सवाल होंगे। यह बातें आज विवेकानंद सभागार में मजदूर किसान मंच के ‘बहुजन राजनीति की दशा व दिशा‘ पर आयोजित सम्मेलन को मुख्य वक्ता के बतौर सम्बोधित करते हुए स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं।
उन्होंने कहा कि जमीन के सवाल को हल करके ही जातिवाद को इस देश से खत्म किया जा सकता है।
इस क्षेत्र में भी भूमि सम्बंधों में बदलाव आना चाहिए, जो जमीन को जोत रहा है उसका जमीन पर अधिकार होना चाहिए। उभ्भा काण्ड़ पर घडियाली आंसू बहाने की जगह सरकार को जमीन के सवाल के हल के लिए भूमि आयोग का गठन करना चाहिए और वनाधिकार कानून में जिन लोगों ने दावा किया है उन्हें जमीन पर अधिकार देना चाहिए। यहां ट्रस्ट, मठों और सोसाइटी की जमीने जब्त करनी चाहिए कम से कम दो एकड़ जमीन हर गरीब को आवंटित करनी चाहिए।
सम्मेलन के विषिष्ट वक्ता मजदूर किसान मंच के कार्यवाहक अध्यक्ष व पूर्व आईजी एस0 आर दारापुरी ने कहा कि काशीराम और मायावती की भ्रष्ट राजनीति ने दलितों और समाज के कमजोर तबकों का बड़ा नुकसान किया है। उनके बुनियादी अधिकार भी बसपा के कार्यकाल में नहीं मिले। वनाधिकार कानून में ही बिना दावों पर सुनवाई किए मायावती राज में अस्सी प्रतिषत दावें निरस्त कर दिए गए। अखिलेष राज में भी हाईकोर्ट के निर्णय के बावजूद वनाधिकार में सुनवाई नहीं की गयी। आज मोदी और योगी की इच्छा के विरूद्ध हमने सुप्रीम कोर्ट तक लडकर वनाधिकार के तहत दावों के पुनः परीक्षण को चालू कराया है। इसलिए दलितों, आदिवासियों को आज मुद्दों पर आधारित जन राजनीति के साथ मजबूती से खड़ा होना होगा, यहीं राजनीति उनका भला करेगी।
सम्मेलन की अध्यक्षता स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल की अध्यक्षता में बने अध्यक्षमण्ड़ल ने की और संचालन कृपाषंकर पनिका व मजदूर किसान मंच के जिला सचिव राजेन्द्र सिंह गोंड़ ने किया। सम्मेलन को स्वराज इंडिया के नेता दिनकर कपूर, युवा मंच संयोजक राजेष सचान, मजदूर किसान मंच के अजय राय, रामेष्वर प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, मंगरू प्रसाद श्याम, धांगर महासभा के अध्यक्ष रामाधार धांगर, जितेन्द्र धांगर, रामनारायन गोंड़, तेजधारी गुप्ता, विद्यावती, हरी प्रसाद तिर्की, रामदास गोंड़, प्रधान डा0 चंद्रदेव गोंड़, प्रधान बीरबल धांगर, रामनाथ गोंड़, अजुर्न आर्या, आलोक राय, मोहर शाह, रामदेव गोंड़, दलबीर खरवार आदि ने सम्बोधित किया।