मनीश चौधरी
सिगरौली।एनसीएल के विभिन्न परियोजनाओं में उत्पादन एवं प्रेषण रहा प्रभावित, कल अन्य संगठनों के हड़ताल पर जाने से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
खदानों में हड़ताल को लेकर प्रशासन रहा सतर्क
आंकड़ों के खेल से एनसीएल प्रबंधन डैमेज कंट्रोल में जुटा
सरकार द्वारा कोयला उद्योग में 100% एफडीआई के विरोध में मजदूर संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। भारतीय मजदूर संघ ने पांच दिवसीय हड़ताल पर जाने का फैसला कर पूर्व से ही तैयारी में जुट गए थे। इसके तहत भारतीय मजदूर संघ की 23 सितंबर से शुरू हुई हड़ताल के पहले ही दिन एनसीएल की खदानों में व्यापक असर रहा।
हड़ताल को सफल बनाने के लिए सोमवार को प्रथम पाली से ही बीएमएस समर्थक कोयला मजदूरों ने विभिन्न परियोजनाओं में जुलूस निकालकर विरोध दर्ज प्रदर्शन किया। बीएमएस के महामंत्री पी के सिंह ने बताया की कोल कर्मियों के हड़ताल पर जाने से सोमवार को एनसीएल के कोयले उत्पादन में 45% असर रहा जबकि विभिन्न परियोजनाओं में कोयले का डिस्पैच 80% तक बाधित रहा। जानकारी अनुसार कोल उद्योग के इस हड़ताल से नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड की विभिन्न परियोजनाओं पर खासा असर पड़ा है। एक और जहां जयन्त क्षेत्र में मोरवा कोल ट्रांसपोर्ट, साइलो से डिस्पेच भी बंद रहा। वहीं दूसरी ओर अमरोली परियोजना में बी के के एस एस सिंगरौली के कार्यकारी अध्यक्ष डी पी दुबे व वरिष्ठ कार्यकर्ता सचिव एन के सिंह के नेतृत्व में हड़ताल की अपील की गई थी, जिसके कारण ज़्यादातर श्रमिकों ने हड़ताल में भाग लिया। निगाही में भी मनीष चौबे व राकेश पाण्डेय के नेतृत्व में सचिव दिलीप कुमार पांडेय कि अध्यक्ष राजाराम मरावी के आवाहन पर कर्मचारी व ठेका श्रमिकों ने भी हड़ताल में भाग लिया। जिससे यहां भी कोल डिस्पेच व उत्पादन प्रभावित रहा। दूधिचुआ परियोजना के साइलो में कोल डिस्पेच व उत्पादन पूर्ण ठप रहा। गोरबी में अध्यक्ष राजेश पटेल व प्रभारी बुधनलाल के नेतृत्व में कर्मचारियों ने हड़ताल जारी रखी।
आज की इस हड़ताल को ए0बी0के0एम0एस0 के उपाध्यक्ष व एनसीएल के संगठन प्रभारी मुन्नीलाल यादव , बी0के0के0एस0एस0 सिंगरौली के अध्यक्ष हीरामणि यादव, महामंत्री प्रदीप कुमार सिंह की मोनिटरिंग में मुख्यालय में संगठन का एक कण्ट्रोल रूम स्थापित कर लगातार सभी परियोजनाओं से सम्पर्क बनाये रखा। हड़ताल को लेकर महामंत्री एवं अध्यक्ष सुबह से सभी खदानों में घूम कर अपने कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा रहे थे।
आवश्यक सेवाएं रही चालू
भारतीय मजदूर संघ ने सरकार को अपना विरोध जताने के लिए केवल खदानों में कोयले का उत्पादन व प्रेषण रोका। उनके द्वारा कहीं भी आवश्यक सेवाएं बाधित नहीं की गई। बिजली, पानी, मेडिकल सेवाओं के साथ सड़कों पर बेरोकटोक स्कूल बसें एवं अन्य वाहन चालू रहे और कहीं कोई अप्रिय घटना सुनने को नहीं मिली।
खदानों में हड़ताल को लेकर प्रशासन रहा सतर्क
कोयला कामगारों द्वारा हड़ताल को लेकर जिला प्रशासन सतर्क दिखा। पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन के निर्देशन पर जगह-जगह पुलिस गश्त करती रही। सिंगरौली जिले के मोरवा अंतर्गत एनसीएल मुख्यालय एवं झिंगुरदा, जयंत व गोरबी खदान में हड़ताल को लेकर एसडीओपी डॉक्टर कृपाशंकर द्विवेदी व मोरवा निरीक्षक नागेंद्र प्रताप सिंह* दिनभर पुलिस बल के साथ गश्त करते दिखे। क्षेत्रफल को देखते हुए मोरवा में 50 पुलिसकर्मियों की अन्य टुकड़िया भी तैनात की गई थी जो विभिन्न जगहों पर प्रथम पाली से ही मुस्तैद रही।
कल अन्य संगठनों के हड़ताल पर जाने से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
सरकार द्वारा एफडीआई के मुद्दे पर कोल उद्योग की अन्य कामगार संगठनों ने बीएमएस से अलग जाते हुए 24 सितंबर को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा कर दी थी। जिसके तहत कल इंटक, एचएमएस, एटक और सीटू भी हड़ताल पर रहेंगे। जिस कारण कल नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड की सभी परियोजनाओं में खासा असर देखने को रहेगा।
आंकड़ों के खेल से एनसीएल प्रबंधन डैमेज कंट्रोल में जुटा
कोयला उद्योग में हड़ताल को लेकर एनसीएल प्रबंधन हमेशा की तरह आंकड़ों के खेल से डैमेज कंट्रोल दिखाने में जुटा रहा। एनसीएल प्रबंधन की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि हड़ताल के बावजूद उनका उत्पादन 8% बढ़ा, हालांकि प्रेषण में 20 फ़ीसदी की कमी को उन्होंने स्वीकारा। जारी विज्ञप्ति में एनसीएल प्रबंधन ने बताया कि सोमवार की प्रथम पाली में एनसीएल ने 96620 टन कोयला उत्पादन किया, जोकि रविवार की प्रथम पाली में किए गए 89945 टन कोयला उत्पादन से लगभग 8 प्रतिशत अधिक है।
कंपनी की प्रथम पाली, सामान्य पाली तथा द्वितीय पाली तक कुल ऑन रोल 11293 कर्मचारियों में से 1516 कर्मचारी कार्य पर अनुपस्थित रहे। यानी कंपनी के लगभग 13 प्रतिशत कर्मी हड़ताल में शामिल रहे।
इस दौरान कंपनी द्वारा किए जाने वाले कोयला प्रेषण (डिस्पैच) पर आंशिक प्रभाव पड़ा। सोमवार की प्रथम पाली में एनसीएल ने 77739 टन कोयला डिस्पैच किया, जोकि रविवार की प्रथम पाली में किए गए 96853 टन कोयला डिस्पैच से लगभग 20 प्रतिशत कम था।