छात्रसंघ भवन का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसको कुलपति की मनमानी के चलते समाप्त किया जा रहा
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 49 दिनों से चल रहा आंदोलन अब निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से जहां संकेत मिले हैं कि इस माह के आखिर तक छात्र परिषद का चुनाव कराया जा सकता है। वहीं आंदोलित छात्र नेताओं ने छात्र संघ बहाली के लिए आमरण अनशन यानी भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी है। अब यह देखने वाला होगा की विश्वविद्यालय प्रशासन अपने निर्णय को पूरा कर पाता है या छात्रसंघ भवन से लेकर संसद भवन तक उठने वाली आवाज एचआरडी मिनिस्ट्री और सरकार के कानों तक पहुंचती है।
बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन एग्जीक्यूटिव कमेटी ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ को समाप्त करते हुए छात्र परिषद के गठन पर मुहर लगाई है। जिसके बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ छात्र नेताओं का आंदोलन जारी है।विश्वविद्यालय के निवर्तमान उपाध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में शुरू हुए इस आंदोलन को सभी छात्र संगठनों का साथ मिला और छात्र संघ समिति के बैनर तले एकजुट होकर सभी छात्र नेता विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय का विरोध कर रहे हैं।
रविवार को शुरू हुए आमरण अनशन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समाजवादी छात्र सभा एनएसयूआई सहित अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद रहे और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपने अनशन की शुरुआत छात्र नेताओं का आरोप है कि कुलपति रतनलाल हंगलू छात्र संघ को समाप्त करने के पीछे एक बड़ी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं।वह अपना और अपने करीबियों द्वारा किए गए कारनामों को छिपाने के लिए छात्र संघ की आवाज दबाना चाहते हैं।छात्र नेताओं का कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसको कुलपति की मनमानी के चलते समाप्त किया जा रहा है। छात्र नेताओं ने कहा कि आमरण अनशन आखरी दम तक लड़ा जाएगा और यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है।
विश्वविद्यालय में छात्र संघ को बहाल करने के लिए पिछले 49 दिनों से जो आंदोलन चल रहा है उसे आमरण अनशन में तब्दील करके छात्र नेताओं ने बड़ा ऐलान कर दिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निवर्तमान महामंत्री शिवम सिंह ने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि यह छात्रसंघ भवन ईट और गारो से बना हुआ एक ढांचा नहीं है इस का गौरवशाली इतिहास रहा है इसके प्राचीर के नीचे बैठने वालों को इतना कमजोर न समझा जाए । उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह लड़ाई जब सम्मान और गौरवशाली इतिहास को बचाने की है।हम छात्रसंघ की बहाली की मांग को लेकर यहां कब तक बैठेंगे जब तक सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांग नहीं मान लेता बता दें कि विश्वविद्यालय में आमरण अनशन शुरू हो चुका है इसके बाद से विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों के छात्र नेताओं सहित समर्थकों का जुटान भी छात्रसंघ भवन पर शुरू हो गया है।