सोनभद्र।विशेष सचिव, समाज कल्याण उत्तर प्रदेश शासन धीरज कुमार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006, नियम-2008 एवं संशोधन नियम-2012 के क्रियान्वयन हेतु कलेक्ट्रेट मीटिंग हाल में आयोजित एक दिनी जागरूकता कार्यशाला को सम्बोधिता करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की मदद उसकी आजीविका का साधन उपलब्ध कराना काफी बड़ा कार्य है। वनाधिकार का हक पात्रों को दिलाने के लिए सार्थक नियम बनाये गये हैं। कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले अधिकारी/कार्मिक, ग्राम प्रधान, ग्राम वनाधिकार समिति के सदस्य राजस्व गांव स्तर पर जाकर परीक्षण करके नियमानुसार वनाधिकार का हक दिलाने में मदद करें। राजस्व, वन व ग्राम्य विकास के अधिकारीगण व कर्मचारीगण प्रशिक्षण में दी जा रही जानकारी को आत्मसात करते हुए सकारात्मक भूमिका निभाकर वन भूमि पर वनवासियों/पात्रों को अधिभोग का अधिकार दिलायें। यह कार्यशाला वनाधिकार समिति व अन्य सम्बन्धितों को जागरूक करके पूर्व में अस्वीकृत दावों के पुनर्विचार के माध्यम से पात्रों को नियमानुसार वनाधिकार का हक दिलाने के निमित्त की जा रही है, जिसमेंं सभी का नियमानुसार सकारात्मक सहयोग बेहद जरूरी है। विेशेष सचिव ने कहा कि जिले में कुल लगभग 65 हजार वनाधिकार के सभी प्रकार के दावें प्राप्त हुए, जिसमें से लगभग 32 हजार अनुसूचित जनजाति के दावें के सापेक्ष मात्र 11 हजार अनुसूचिज जनजाति के पात्र दावें पाये गये यानी अनुसूचिज जनजाति के 22 हजार दावें अस्वीकृत हुए और अन्य परम्परागत वन निवासियों के 33 हजार दावें भी अस्वीकृत हुए हैं। अनुसूचित जनजाति यान वनवासियों के लिए जहॉ 13 दिसम्बर, 2005 के पूर्व वन भूमि पर रहने के प्रमाण देने की व्यवस्था है, वहीं अन्य परम्परागत वनवासियों के लिए एक पुष्त 25 वर्ष के हिसाब से तीन पुष्त यानी 75 साल का वन भूमि का उपयोग करने का प्रमाण देना होगा। अस्वीकृत किये गये दावों के सम्बन्ध में सुनवाई का मौका देने के लिए यानी अस्वीकृत दावों के तथ्यों का परीक्षण कर पात्रों को वन भूमि पर नियमानुसार अधिभोग का हक दिलाने का काम करने के लिए कार्यषाला में सभी को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अस्वीकृत दावों के सम्बन्ध में सुनवाई व अपील का मौका सभी को है। वनाधिकार के अस्वीकृत दावों को पुनर्विचार में किसी प्रकार की हीला-हवाली नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006, नियम-2008 एवं संषोधन नियम-2012 का हक दिलाने में सबसे अहम भूमिका ग्राम वनाधिकार समिति की होगी। ग्राम वनाधिकार समिति राजस्व ग्राम सभावार ग्रामों में गठित है, जो सभी प्रकार के भेद-भाद से ऊपर उठकर पात्रों को वनाधिकार का हक दिलाने के लिए कार्य करेंगी। उन्होंने कहा कि समिति में जहॉ 1/3 सदस्य अनुसूचित जनजाति समाज होंगें, वहीं महिला सदस्यों की भी सहभागिता होगी। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति व्यक्तिगत वनाधिकार के लिए जहॉ परीक्षण करेंगी, वहीं सामुदायिक कार्यों के लिए भी वन भूमि की व्यवस्था अधिभोग की व्यवस्था गांव के नागरिकों/वनवासियों की होगी। उन्होंने अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006, नियम-2008 एवं संषोधन नियम-2012 के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि राजस्व गांव स्तर पर गठित ग्राम सभा में वनाधिकार समिति वन अधिकारों की प्रकृति और सीमा का अवधारण करने के लिए कार्यवाही शुरू करेगी और सम्बन्धित दावों की सुनवाई करेंगी। वन अधिकारों की सूची तैयार करने, दावों का ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज करने, दावों का संकल्प हितबद्ध व्यक्तियों और सम्बन्धित प्राधिकारियों को सुनवाई का पूरा मौका देने के बाद पारित करेंगी और उप खण्ड स्तर की समिति को भेजेगी। ग्राम सभा के अधिवेशन में गणपूर्ति सभी सदस्यों के दो तिहाई से पूरी की जायेगी। उप खण्ड स्तर की समिति गांव सभा के पेड़-पौधों को संरक्षित रखे जाने का कार्य करेंगी और ग्रामसभा और वन अधिकार समिति को वन और राजस्व मानचित्र और मतदाता सूची मुहैया करायेगी। ग्राम सभा के सभी सम्पर्कों को एक साथ मिलायेगी। दावों की सच्चाई को सुनिष्चित करने के लिए ग्राम सभाओं के संकल्पों और मानचित्रों का परीक्षण करेंगी। ग्राम सभाओं के बीच विवादों की सुनवाई और निस्तारित करेगी। जिला स्तर की समिति, जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगें, अपेक्षित जानकारी ग्राम सभा या वन अधिकार समिति को उपलब्ध करायेगी, कार्यों की समीक्षा लेगी, सभी दावों विषेष कर आदिम जनजाति समूहों, पशु चारकों और उप खण्ड स्तर की समिति द्वारा तैयार किये गये वन समिति के दावों और अभिलेखों पर विचार करते हुए अन्तिम रूप से अनुमोदन प्रदान करेंगी। उप खण्ड समिति के आदेषों से व्यथित व्यक्तियों के अर्जियों की सुनवाई करेंगी। सुसंगत सरकारी अभिलेख में वन अधिकारों के समावेषन के लिए निर्देश जारी करेंगी। जैसे ही अभिलेख को अन्तिम रूप दिया जायेगा, वन अधिकारों का प्रकाशन सुनिष्चित करेंगी। अभिलेख के अधिप्रमाणित प्रति सम्बद्ध दावेंदार और सम्बन्धित ग्राम सभा को भी देगी। जो प्रकरण जिले स्तर से अस्वीकृत होंगें और जो व्यक्ति असंतुष्ट होगा वह राज्य स्तर के निगरानी समिति के समक्ष अपना अर्जी पेश करेगा। कार्यशाला में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006, नियम-2008 एवं संषोधन नियम-2012 के सम्बन्ध में विस्तार से जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम ने जानकारी देते हुए बताया कि वनाधिकार के अवधारण के साक्ष्य के लिए अन्य बातों के अलावा गजेटियर जनगणना, सर्वेक्षण और बन्दोबस्त रिपोर्ट, मानचित्र, उपग्रहीय चित्र, कार्य योजनाएं, प्रबन्ध योजनाएं, लघु योजनाएं, वन जॉच रिपोर्ट, अन्य वन अभिलेख, अधिकारों के अभिलेख, पट्टा या लीज, चाहे कोई भी नाम हो, सरकार द्वारा गठित समितियों और आयोगों के रिपोर्ट, सरकारी आदेश, अधिसूचनाएं, परिपत्र, संकल्प जैसे-लोक दस्तावेज, सरकारी अभिलेख, मतदाता पहचान-पत्र, राषन कार्ड, गृह कर की रसीदें, मूल निवास प्रमाण-पत्र, घर, झोपड़ी, भूमि के लिए स्थायी सुधार जैसे काम, अर्द्ध न्यायिक व न्यायिक आदेश, रूढि़यों और परम्पराओं का अनुसंधान अध्ययन, दस्तावेजीकरण, भारतीय मानव विज्ञान संरक्षण, तत्कालीन रजवाड़ों से प्राप्त अभिलेख, मानचित्र, विषेषाधिकार, रियायतें, समर्थन, कुआं, कब्रिस्तान, श्यशान व अन्य परम्परागत संरचनाएं आदि प्रस्तुत कर सकते हैं। कार्यषाला में विस्तार से जानकारी देते हुए अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर सिंह ने बताया कि सामुदायिक वनाधिकार के साक्ष्य के लिए परम्परागत चारागाह, जड़ें और कंन्द, चारा, वन्य खाद्य फल और लघु वन उत्पाद जमा करने के क्षेत्र, मछली पकड़ने का स्थान, सिंचाई प्रणालियां, मानव या पशु धन के उपयोग के लिए जल के स्रोत, औषधि पौधों का संग्रह, जड़ी-बूटी औषधि व्यावसायियों के क्षेत्र, स्थानीय समुदाय द्वारा बनायी गयी संरचनाएं, अवषेष, पवित्र वृक्ष,गुफाएं, तालाब, नदी क्षेत्र, कब्रिस्तान, शमशान आदि को शामिल किया गया है। कलेक्ट्रेट परिसर मीटिंग हाल में प्रथम पाली में आयोजित कार्यशाला में विकास खण्ड राबर्ट्सगंज, घोरावल व चतरा के ग्राम प्रधानों व ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के पदाधिकारियों को व द्वितीय पाली में विकास खण्ड नगवां व चोपन के ग्राम प्रधानांं व ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के पदाधिकारियों को जागरूक किया गया। कार्यषाला में विशेेष सचिव समाज कल्याण धीरज कुमार, जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम, अपर निदेशक जनजाति विकास सुश्री प्रियंका वर्मा, प्रभारी वनाधिकारीगण, जिले के तीनों उप जिलाधिकारीगण, उप प्रभागीय वनाधिकारीगण, जिला समाज कल्याण अधिकारी के .के. तिवारी, डीपीआरओ आर.के. भारती, ग्राम प्रधानगण, ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के पदाधिकारीगण आदि मौजूद रहें।