बेल्हात्थी गांव के रजनी टोला में एक सप्ताह में अज्ञात विमार से तीन की मौत

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डाला डेरा,तीन दर्जन लोगों के लिए नमूने

म्योरपुर ब्लॉक के बेल्हात्थी ग्राम पंचायत का मामला

म्योरपुर सोनभद्र (विकास अग्रहरी)
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म्योरपुर ब्लाक के बेलहत्थी गांव के रजनी टोला में अज्ञात बीमारी से रामलखन खरवार की 55 वर्षीय पत्नी बधुनी देवी की शनिवार की सुबह मौत हो गयी और इससे पहले हरीकिशुन खरवार के 14 वर्षय बबलू मौत हुई।सप्ताह पूर्व 6 वर्षीय ननकी ने भी दो दिन की बुखार के बाद दम तोड़ दिया था इस पूरे टोले में दर्जनों लोग बीमारी से पीड़ित है।स्वराज्य अभियान के नेता दिनकर कपूर की सूचना के बाद म्योरपुर सी एच सी अधीक्षक डॉ फिरोज आबेदीन ने शनिवार को स्वास्थ्य शिविर लगाकर तीन दर्जन मरीजो की जांच कर दवाएं वितरित करायी है ।और कहा है कि मृत अधेड़ महिला को गांव में रख कर झोला छाप चिकित्सक से इलाज और ओझाई कराया जा रहा था उसे एक सप्ताह से खांना भी नही मिला था ,जिससे महिला की मौत हुई है ,स्वराज्य नेता श्री कपूर का कहना है कि इस सम्बंध में जिला प्रशासन की हेल्पलाइन पर एक सप्ताह पूर्व ही सूचित किया गया और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से दूरभाष पर बात भी की गयी थी। उनसे मेडिकल कैम्प लगाकर लोगों के इलाज की मांग की गयी थी। परन्तु एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी लोगों को इलाज नहीं मिला और अब मौतें शुरू हो गयी है। यह मौतें प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई है उन्होंने कहा कि यदि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने हमारी शिकायत को संज्ञान में लेकर समय से कार्यवाही की होती तो ग्रामीणों व बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। आज फिर ग्रामीणों की जिदंगी बचाने के लिए बेलहत्थी गांव के रजनी टोला में तत्काल मेडिकल कैम्प लगाने के लिए डीएम से वार्ता भी की और उन्हें पुनः पत्र भेजा। वहीं मजदूर किसान मंच के नेता कृपा शंकर पनिका, मंगरू प्रसाद श्याम और राजेन्द्र प्रसाद गोंड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्ड़ल ने म्योरपुर स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक से मिलकर तत्काल मेडिकल कैम्प लगाने के लिए पत्रक भी सौंपा।

उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेष के मुखिया जनपद में आकर विकास की बड़ी बातें कर रहे है वहीं दूसरी तरफ विकास की सच्चाई रजनी टोला जैसे गांव उजागर कर देते है। जहां आज भी लोग रिहन्द डैम का पानी पीने के लिए मजबूर है और हमारे द्वारा बार-बार प्रत्यावेदन देने के बावजूद आवागमन के लिए सड़क तक नहीं बनी है। इसी गांव में पहले भी दर्जनों बच्चों व ग्रामीणों की प्रदूषित पानी को पीने की वजह से मौतें हुई थी, जो राष्ट्रीय सवाल बना था और जिसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया था। परन्तु हालात में बदलाव नहीं हुआ। उन्होंने सरकार व प्रशासन ने इस गांव में शुद्ध पेयजल और आवागमन के लिए सड़क बनाने की भी मांग की।

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