
सोनभद्र 13 सितम्बर 2019, वनाधिकार कानून के तहत दाखिल हुए दावों में से खारिज दावों की पुनर्सुनवाई का आदेश जनांदोलन की जीत है और यह इस सवाल पर लगातार अदालत से लेकर सड़क तक जारी संघर्ष का परिणाम है। यह प्रतिक्रिया स्वराज अभियान के राज्य कार्यसमिति सदस्य दिनकर कपूर ने दी। उन्होंने जिला प्रशासन से वनाधिकार कानून के तहत दाखिल दावों के दावेदारों को न्याय प्रदान करने के लिए गांव स्तर पर कैम्प लगाकर दावों को निस्तारित करने, हर दावेदार को सूचित कर उसके दावें का स्थलीय निरीक्षण कराने, जिन दावों को गांवस्तरीय वनाधिकार समिति ने स्वीकृत कर उपखण्ड़स्तर पर भेजा है और वहां लम्बित है उसका निस्तारण कर दावेदार को उसकी पुश्तैनी वन भूमि पर मान्यता प्रदान करने और जब तक दावों का अंतिम रूप से निस्तारण नहीं हो जाता तब तक वन विभाग को आदिवासियों व वनाश्रितों की बेदखली व उत्पीड़न पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में लम्बे समय से वनाधिकार कानून के अनुपालन के लिए सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जनपद के नौगढ़ व चकिया तहसील में आंदोलन किया जा रहा है। बसपा सरकार में किसी दावेदार को बिना सूचना और सुनवाई का अवसर दिए पूरे प्रदेष में 73 हजार जिसमें सोनभद्र जनपद में ही 54 हजार दावें खारिज कर दिए गए थे। जिसके विरूद्ध आदिवासी वनवासी महासभा से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी जिसमें हुए पुनसुर्नवाई के आदेष को बाद में बनी सपा सरकार ने लागू नहीं किया। भाजपा सरकार बनने के बाद इस पूरे आदिवासी बाहुल्य इलाके में शुरू हुए बेदखली, फर्जी मुकदमों और उत्पीड़न के माहौल में फिर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर खारिज दावों की पुनर्सुनवाई का आदेष कराया गया जिसे भी विफल करने में शासन-प्रशासन लगा था। परन्तु सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दबाव में उ0 प्र0 शासन को अब वनाधिकार कानून के तहत विधि विरूद्ध खारिज दावों की पुनर्सुनवाई का आदेश करना पड़ा है। इस आदेश के बाद अब जिला प्रषासन को चाहिए कि वनाधिकार कानून में निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन सुनिष्चित कराए।
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