क्या हाल है उस गीतकार का, जिनके गीत को गाकर रानू मंडल बनी स्टार

वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त तिवारी संतोष आनंद को विन्ध्य नेशनल अवार्ड देते हुए

संजय द्विवेदी की विशेष रिपोर्ट

एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है..’ इसी गीत को गाकर , गुनगुनाकर रानू मंडल ने रेलवे प्लेटफॉर्म से स्टार बनने तक का सफर तय कर लिया, तीन पीढ़ियों की जुबान पर गुनगुनाये जाने वाले इस गीत के गीतकार संतोष आनंद की कहानी भी आसुंओं से भरी है।

गीतकार के आंसू पोछते वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी

अपने जीवन का शानदार और गौरवशाली सफर तय कर चुके 80 वर्षीय इस फनकार को जब सहारे की जरूरत थी, पांच वर्ष पूर्व उनके युवा पुत्र और पुत्रवधू ने साथ ही आत्महत्या कर ली, इस सदमे ने उन्हें तोड़कर रख दिया, वे डिप्रेसन में चले गए थे।

इस डिप्रेसन से उन्हें निकालने में तीन व्यक्तियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी पुत्री शैली, पत्रकारगण अमर आनंद और विजय शंकर चतुर्वेदी, इन तीनों ने मिलकर दिल्ली में उनपर केंद्रित कई कार्यक्रम कराए और श्री चतुर्वेदी के प्रकाशन संस्थान ‘ विन्ध्य न्यूज़ नेटवर्क’ की तरफ से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले सम्मान विन्ध्य नेशनल अवार्ड से विभूषित किया, उन्हें सम्मान के साथ 51 हज़ार रुपये की राशि भी सौंपी गई।

दिल्ली में एक कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संतोष आंनद और विजय शंकर चतुर्वेदी

सम्मान को देश के जाने माने पत्रकार हेमन्त तिवारी ने उन्हें सौंपा ।
दो बार फ़िल्म फेयर अवार्ड से विभूषित संतोष आनन्द ने 1972 में फ़िल्म शोर के लिए ‘ एक प्यार का नगमा’ जैसा गीत लिखा, फ़िल्म क्रांति के गीत ‘ जिंदगी की ना टूटे लड़ी’, रोटी कपड़ा और मकान का गीत ‘ मैं ना भूलूंगा..’ , प्रेमरोग फ़िल्म का गीत – ‘ मुहब्बत है क्या चीज.’ जैसे सैकड़ों गाने के रचनाकार संतोष आनन्द का आत्मबल अभी भी बरकरार है, जब वो अपने गीत ‘ एक प्यार का नगमा .. किसी मंच से आज भी गुनगुनाते हैं तो अगली लाइनें श्रोता स्वयं पूरी कर देते हैं।
उत्तर प्रदेश के निवासी संतोष आनन्द वर्तमान समय में दिल्ली में रह रहे हैं, उन्हें भारत के कई स्थानों पर सम्मानित किया गया, कवि सम्मेलनों के मंचों पर भी वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं।

रानू मंडल

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