विवेकानन्द स्मारक का स्वर्ण जयंती वर्ष प्रारंभ

सोनभद्र की दो हस्तियों को बनाया गया सम्पर्क प्रमुख
– राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की शुरुआत
– एक भारत- विजयी भारत का हुआ उदघोष

सोनभद्र।वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों में सोनभद्र की दो हस्तियों को भी सम्पर्क प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लखनऊ विश्विद्यालय में प्रोफेसर शीला मिश्रा को यूपी और वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी दी गयी है। ये दोनों शख्सियतें एक दशक से स्वामी विवेकानंद पर कार्य कर रही हैं। दोनों ने स्वामी विवेकानंद को विषय बनाकर पुस्तकें भी लिखी हैं और कुछ पुस्तकें प्रकाशित भी होने वाली हैं।

स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक पर चिंतन मनन करते विजय शंकर चतुर्वेदी एवं शीला मिश्रा

कन्याकुमारी में हिन्द महासागर के एक टापू पर स्थित स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक के स्वर्ण जयंती वर्ष आरंभ होने के अवसर पर 2 सितम्बर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवेकानंद केन्द्र के ‘एक भारत -विजयी भारत’ संपर्क अभियान की शुरुआत कर दी, केन्द्र के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष ए. बालकृष्णन और सुश्री निवेदिता भिडे ने snc urjanchal को बताया कि एक भारत विजयी भारत संपर्क अभियान में विवेकानंद केन्द्र से जुड़े 20 हजार से अधिक कार्यकतार् देश के एक हजार से अधिक स्थानों पर समाज के अलग-अलग वगोर्ं के 30 लाख से अधिक लोगों से संपर्क करेंगे और उन्हें स्वामी विवेकानंद का संदेश देने के साथ ही समाज के कल्याण एवं संवर्द्धन के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगे।

सुश्री भिडे ने बताया कि दो सितंबर 1970 को विवेकानंद शिला स्मारक बन कर पूरा हुआ था। इस वर्ष दो सितंबर को उसका 50वां वर्ष आरंभ हो रहा है। इस स्वर्णजयंती वर्ष के दौरान साल भर तक चलने वाले इस संपर्क अभियान के दौरान समापन कार्यक्रम की योजना तैयार की जाएगी। इस मौके पर नयी दिल्ली अथवा कन्याकुमारी में वृहद कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी भी समापन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

उन्होंने विवेकानंद शिला स्मारक की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत भ्रमण के बाद इस स्थान पर एक अज्ञात संन्यासी के रूप में आये थे और 25, 26 और 27 दिसंबर तक तीन रात, तीन दिन ध्यान लगाकर जीवन के ध्येय को प्राप्त किया था। इस स्मारक का निमार्ण 1965 से 1970 के बीच हुआ। देश के 323 सांसदों के सामूहिक ज्ञापन पर देश की एक प्रतिशत आबादी के दान में मिले 85 लाख रुपए, केन्द्र सरकार के 15 लाख रुपए एवं राज्यों के एक एक लाख रुपए के योगदान से एक करोड़ 30 लाख रुपए में यह स्मारक बना था। इसके उद्घाटन का कार्यक्रम दो माह तक चला था। स्मारक के स्थापत्य में अजंता, ऐलोरा, पल्लव, चोल, बेलूर मठ आदि अनेक स्थानों की अनेक अद्वितीय शिल्पकृतियों का समावेश है।

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