नई दिल्ली।भारतीयों विधुत उप उपभोक्ताओं को बेहतरीन सुविधा उपलब्ध कराने के लिये मोदी सरकार नई प्लानिंग के तहत बिजली की रेगुलर सप्लाई देने का मन बना रही है।
जानिए क्या है मोदी सरकार की मास्टर प्लानिंग
भारतीय विजली उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देने के लिए मोदी सरकार कई बड़ी नीतियों पर काम कर रही है। ऐसा ही एक प्लानिंग सरकार बिजली की रेगुलर सप्लाई को लेकर भी कर रही है। कयास लगाया जा रहा है सरकार ग्राहकों को हर समय बिजली उपलब्ध करने के लिए जल्द ही एक नई नीति को मंजूरी दे सकती है। जिसमें सप्लाई गड़बड़ होने पर ग्राहकों को बिजली वितरण कंपनी से जुर्माना दिलाने का प्रस्ताव है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बिजली मंत्रालय ने न्यू पॉवर टैरिफ पॉलिसी का ड्राफ्ट मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेज दिया है. इस ड्राफ्ट को जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
अगर कटी बिजली तो मिलेगा कम्पनियो से हर्जाना
इस पॉलिसी के तहत अगर प्राकृतिक आपदा या तकनीकी कारणों को छोड़कर किसी वजह से बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को हर्जाना देना होगा और इसकी धन राशि सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगी। ये जुर्माना कितना होगा इसका फैसला राज्य विद्युत नियामक आयोग करेगा।
ग्राहकों को बिजली बचत के लिये प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया प्लान
सूत्रों के मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों के लिये गुणवत्तापूर्ण सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। यानी वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और ट्रांसफर्मर में गड़बडी जैसी समस्याएं नहीं आनी चाहिए। अगर आए तो जल्द से जल्द इन समस्याओं को दूर करना अनिवार्य होगा। नई प्रशुल्क नीति में अन्य बातों के अलावा बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहकों के खातों में देने का भी प्रावधान किया गया है। यानी अगर राज्य सरकारें सस्ती बिजली देने की घोषणा करती हैं तो उन्हें सब्सिडी वितरण कंपनियों के बजाए सीधे ग्राहकों के खातों में भेजनी होगी. सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से ग्राहक बिजली बचत के लिये प्रोत्साहित होंगे. वे अधिक बिजली बचत का प्रयास करेंगे ताकि उन्हें सब्सिडी ज्यादा-से-ज्यादा मिले.
3 साल में ही स्मार्ट हो जाएंगे बिजली मीटर
नई नीति के तहत अगले तीन साल में स्मार्ट/प्रीपेड मीटर लगाने का भी प्रावधान होगा. स्मार्ट/प्रीपेड मीटर से ग्राहक मोबाइल फोन की तरह जरूरत के अनुसार रिचार्ज करा सकेंगे।इससे जहां एक तरफ बिजली बचत को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत भी अच्छी होगी।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में अपने बजट भाषण में एक देश एक ग्रिड का लक्ष्य हासिल करने के लिये संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया था।सीतारमण ने कहा था, हम क्रॉस सब्सिडी प्रभार, खुली बिक्री पर अवांछनीय शुल्क या औद्योगिक और बिजली के अन्य उपभोक्ताओं के लिये कैप्टिव उत्पादन (निजी उपयोग के लिये) जैसे अवरोधों को हटाने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेंगे।