न्यायालय की अवमानना कर रहा प्रशासन-स्वराज अभियान

मुख्य सचिव को पत्र भेज वनाधिकार कानून के तहत पट्टा देने की मांग
सोनभद्र 20 अगस्त 2019,। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा वनाधिकार कानून के तहत जमा दावों पर पुनर्विचार कर उनके विधि के अनुरूप निस्तारण करने के आदेष के अनुपालन की जगह सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में प्रषासन दावा निस्तारण की फर्जी रिपोर्ट लगाकर शासन को भेज रहा है और इन्हीं रिपोर्ट को आधार बनाकर मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र लगा रहे है। इसलिए आज स्वराज अभियान की राज्य समिति के सदस्य दिनकर कपूर ने वनाधिकार कानून के अनुपालन की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने के लिए मुख्य सचिव उ0 प्र0 को पत्र भेजा है। पत्र की एक प्रति आवष्यक कार्यवाही हेतु निदेषक, जनजाति विकास को भी भेजी गयी है।
पत्र में कहा गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष ने स्वराज अभियान से जुड़ी आदिवासी वनवासी महासभा की जनहित याचिका में उ0 प्र0 शासन को वनाधिकार कानून में जमा दावों पर पुनर्विचार करने और जब तक दावों पर विधि के अनुरूप निर्णय न हो तब तक उत्पीड़न पर रोक लगाने का आदेष दिया था। जिसके बाद हजारों की संख्या में सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के चकिया व नौगढ़ तहसीलों में लोगों ने पुनर्सुनवाई हेतु प्रत्यावेदन जमा किए थे। लेकिन आज तक इन पर कोई सुनवाई नहीं की गयी और न ही दावाकर्ता को इस सम्बंध में संसूचित किया गया। वास्तविकता यह है कि प्रषासन की पूरी कोषिष आदिवासियों व वनाश्रितों को वनाधिकार कानून के लाभ से वंचित करने की है। दुद्धी तहसील में ग्रामस्तर की वनाधिकार समिति के अध्यक्ष व सचिव पर दावा निरस्त करने के फर्जी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाब बनाया जा रहा है, जबकि ग्रामस्तर की समितियों ने पहले ही दावा स्वीकृत कर तहसील में भेजा हुआ है। राबटर््सगंज व घोरावल में किसी दावाकर्ता को कोई सूचना नहीं दी गयी पर तहसील प्रषासन द्वारा दावाकर्ताओं को सूचित करने की फर्जी रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी है। चकिया तहसील में एक ही दिन सारे दावाकर्ताओं को बुलाकर सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए गए और मिर्जापुर की मडिहान तहसील में तहसील कर्मियों द्वारा ही फर्जी हस्ताक्षर बनाकर सबकों सूचित करने की रिपोर्ट लगा दी है। यहीं नहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी आदिवासियों व वनाश्रितों की वनभूमि से बेदखली पर रोक लगाने के आदेष के बावजूद पूरे क्षेत्र में बेदखली और उत्पीड़न की कार्यवाहियां जारी है। वन विभाग लोगों को पुष्तैनी वनभूमि पर खेती किसानी से रोक रहा है, फर्जी मुकदमें कायम कर रहा है और हर गांव में वन विभाग द्वारा आदिवासियों व वनाश्रितों की अवैध अतिक्रमणकारी की सूची बनायी जा रही है। जो स्पष्टतः न्यायालय की अवमानना है और इस पर रोक लगाने व तत्काल प्रभाव से वनाधिकार कानून के तहत जमा दावों का विधि सम्मत निस्तारण कर आदिवासियों व वनाश्रितों को पट्टा देने की मांग पत्र में मुख्य सचिव से की गयी है।

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