नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच सोमवार को फोन पर बात हुई। बताया जा रहा है कि दोनों के बीच करीब 30 मिनट बात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। मोदी ने पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में कहा कि कुछ क्षेत्रीय नेताओं का अति उग्र बयान देना और भारत विरोधी हिंसा को बढ़ावा देना क्षेत्र की शांति के लिए ठीक नहीं है।सोर्स ऑफ दैनिक भाष्कर।
मोदी ने इस बातचीत में कहा– सीमा पार आतंकवाद को रोकना और आतंक व हिंसा से मुक्त माहौल बनाना क्षेत्र के लिए जरूरी है। उन्होंने ट्रम्प से अफगानिस्तान के विषय पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत एकजुट, सुरक्षित और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के निर्माण के लिए लंबे समय से प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री ने इसी साल जून में जापान के आसाका में ट्रम्प से हुई बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के वाणिज्य मंत्री जल्द ही द्विपक्षीय कारोबार के संबंध में चर्चा करने के लिए मिलेंगे।
इमरान ने अमेरिका को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी
मोदी की ट्रम्प से बातचीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने से भड़के इमरान खान ने हाल ही में अमेरिका को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी। पाकिस्तान के समर्थन में चीन अनुच्छेद 370 के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया था। परिषद में ‘बंद कमरे में चर्चा’ से पहले इमरान ने ट्रम्प को फोन किया था। हालांकि, ट्रम्प ने तब कश्मीर को द्विपक्षीय मामला बताकर इमरान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। व्हाइट हाउस के मुताबिक, ट्रम्प ने इमरान को सलाह दी है कि अगर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के साथ तनाव कम करना चाहता है तो उसे द्विपक्षीय वार्ता की अहमियत समझनी होगी।
ट्रम्प ने कहा था- मध्यस्थता पर मोदी फैसला करें
ट्रम्प ने 22 जुलाई को वॉशिंगटन में इमरान के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा कियाथा कि मोदी ने उनसे कश्मीर मामले पर मध्यस्थता के लिए कहा था। हालांकि, उस वक्त भारत ने ट्रम्प के दावे को नकार दिया था। भारत ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर सिर्फ पाकिस्तान से बातचीत होगी।