लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए सभी सुविधाओं से युक्त स्वच्छ, साफ-सुथरा, आकर्षक, अच्छा वातावरण का विद्यालय होना जरूरी होता है। बच्चों को उनकी कोमल भावनाओं को पठन-पाठन की ओर आकर्षित करने के लिए विद्यालयों में स्वस्थ शैक्षिक वातावरण स्थापित करना जरूरी है। विद्यालय, बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में सहभागी होते हैं। यद्यपि बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार होती है किन्तु उसके सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक और विद्यालय महत्वपूर्ण होते हैं। उ0प्र0 सरकार ने विद्यालयों को साफ-सुथरा, सभी अवस्थापना सुविधाओं से युक्त बनाकर स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक वातावरण देते हुए शिक्षा में काफी सुधार किया है।उ0प्र0 में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 113298 प्राथमिक एवं 45625 उच्च प्राथमिक विद्यालय कुल 158914 विद्यालय संचालित है। इनमें जिन विद्यालयों में फर्नीचर, बिजली, पेयजल, कक्ष, शौचालय आदि नहीं थे, उन विद्यालयों में सरकार ने सभी अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ करते हुए विद्यालय को आकर्षक बनाने के लिए 500 करोड़ रू0 व्यय करते हुए कार्य कराया है। उसी तरह विद्यालयों की चहारदीवारी तथा गेट निर्माण के लिए भी सरकार ने 100 करोड़ रू0 व्यय किये हैं। प्रदेश के 91236 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, मरम्मत, बाउन्ड्रीवाल, गेट, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, इण्टरलाकिंग टाइल्स, हैण्डवास की सुविधा, विद्युतीकरण आदि अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराते हुए पठन-पाठन का समुचित वातावरण सृजित किया गया। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने पंचायतीराज विभाग के माध्यम से 14वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि, ग्राम निधि, जनपद स्तर पर उपलब्ध अन्य मदों की धनराशि से भी अवस्थापना सुविधाओं के बनवाने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिये हैं।परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराकर प्रदेश सरकार ने सराहनीय कार्य करते हुए विद्यालय परिसर को आकर्षित बनाया है। स्वच्छ और साफ-सुथरा आकर्षक वातावरण बनने से विद्यालयों में पठन-पाठन का अच्छा सृजन हुआ है। विद्यालयों में सभी सुविधाएं होने से छात्र-छात्राओं के शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हुआ है। परिषदीय विद्यालयों में उत्तरोत्तर जहां छात्र-छात्राओं के प्रवेश की वृद्धि हो रही है, वहीं वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।