दुनियाभर में हेपेटाइटिस से हर साल 14 लाख मौतें, अब इंजेक्शन नहीं दवाओं से भी सस्ता इलाज है संभव


हेपेटाइटिस डे

हेपेटाइटस के 5 वायरस ए, बी, सी डी और ई हैं, इनमें टाइप-बी व सी के संक्रमण से लिवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा

दूषित खाना-पानी, संक्रमित सुई और रक्त से हेपेटाइटिस का खतरा, आंखें और स्किन पीली दिखे तो अलर्ट हो जाएं

हेल्थ डेस्क. टीबी के बाद हेपेटाइटिस दुनिया का सबसे बड़ा संक्रमक रोग बन गया है जिससे हर साल 14 लाख लोगों की मौत हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में 32.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और सी से जूझ रहे हैं। 2017 में हेपेटाइटिस के वायरस से संक्रमण के 28.5 लाख नए मामले सामने आए हैं। इसके 80 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो जांच और इलाज की पहुंच से दूर हैं। ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने इस साल 28 जुलाई को मनाए जाने वाले हेपेटाइटिस डे की थीम ‘इनवेस्ट इन इलिमिनेटिंग हेपेटाइटिस रखी है। यानी हेपेटाइटिस को खत्म करने के लिए निवेश की जरूरत है। इस साल हेपेटाइटिस डे की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है।एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ सुधीर महर्षि से जानिए क्या है हेपेटाइटिस और कैसे निपटें…

लिवर क्यों होता है बीमार

क्या है हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस को आसान भाषा में तो यह लिवर में होने वाली सूजन है जिसका मुख्य कारण वायरस का संक्रमण है। जो आमतौर पर दूषित भोजन खाने या पानी पीने, संक्रमित चीजों के इस्तेमाल से फैलता है। इस कारण हेपेटाइटस के 5 वायरस ए, बी, सी डी और ई हैं। इनमें टाइप-बी व सी घातक रूप लेकर लिवर सिरोसिस और कैंसर को जन्म देते हैं। शुरुआती इलाज न मिलने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और लिवर पूरी तरह से डैमेज भी हो सकता है

अब दवाओं से भी सस्ता इलाज है संभ

पिछले कुछ समय तक मार्केट में केवल हेपेटाइटिस-बी के लिए ही ओरल (खाने वाली) दवाएं मिल रही थी जबकि हेपेटाइटिस-सी का इलाज इंजेक्शन से होता था। लेकिन अब हेपेटाइटिस-सी की ओरल दवा भी मार्केट में आ चुकी है। यह इंजेक्शन की तुलना में न सिर्फ सस्ती है बल्कि 90 फीसदी तक कारगर भी। हेपेटाइटिस-सी के लिए अभी तक पैग इंटरफेरॉन इंजेक्शन देते थे। जिससे हेपेटाइटिस-सी को ठीक होने में 12-15 माह का समय लगता था और महज 50-60 % मरीज ही ठीक हो पाते थे। लेकिन नई ओरल दवा में सोफोसबुबीर व डेक्लेटासोविर शामिल हैं जिसे डॉक्टरी सलाह से एक गोली रोज लेनी होती है। साथ ही नब्बे प्रतिशत मरीज सिर्फ 12 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। यह पुरानी दवा के मुकाबले 90 फीसदी सस्ती है।

बच्चों के लिए कितना खतरनाक

बड़ों के मुकाबले बच्चों में इसके मामले ज्यादा सामने आते हैं क्योंकि उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। इम्युनिटी कम होने के कारण इनमें हेपेटाइटिस-ए और ई का संक्रमण फैलता है। कुछ देशों में इसके टीके की शुरुआत हुई है लेकिन यह अभी शुरुआती अवस्था में है इसे बड़े स्तर पर लगाने के लिए अप्रूवल नहीं मिला है। भारत में इसका कोई टीका नहीं विकसित हो पाया है। साफ-सफाई बरतकर ही ए और ई वायरस से बचा जा सकता है। हेपेटाइटिस-बी का टीका उपलब्ध है। जिस हर नवजात को लगवाकर बीमारी के खतरे को कम किया जा रहा है।

  1. ''
  2. लिवर के 5 दुश्मन

    • हेपेटाइटिस-ए : यह वायरस दूषित भोजन और पानी से शरीर में फैलता है। ऐसे मामलों में लिवर और लिवर में सूजन, भूख न लगना, बुखार, उल्टी व जोड़ों में दर्द रहता है।
    • हेपेटाइटिस-बी : यह वायरस संक्रमित रक्त, सुई या असुरक्षित यौन सम्बंध के जरिए फैलता है। लिवर पर असर होने से रोगी को उल्टी, थकान, पेटदर्द, त्वचा का रंग पीला होने जैसी दिक्कतें होती हैं । यह लिवर का क्रॉनिक रोग है जो लिवर सिरोसिस व कैंसर का रूप ले लेता है। गभर्वती महिला इससे संक्रमित है यह वायरस उसके बच्चा भी इससे ग्रसित हो सकता है।
    • हेपेटाइटिस-सी : हेपेटाइटिस-ए व बी की तुलना में यह वायरस ज्यादा खतरनाक है। शरीर पर टैटू गुदवाने, दूषित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग या दूसरे के शेविंग किट के इस्तेमाल से यह फैलता है। इसके लक्षण गंभीर अवस्था में कुछ समय बाद ही दिखाई देते हैं।
    • हेपेटाइटिस-डी : हेपेटाइटिस-बी व सी के मरीजों में इसकी आशंका ज्यादा होती है। यह भी दूषित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग या दूसरे के शेविंग किट के इस्तेमाल से यह फैलता है। लिवर में संक्रमण से उल्टी और हल्का बुखार आता है।
    • हेपेटाइटिस-ई : यह वायरस दूषित खानपान से फैलता है। इससे प्रभावित होने पर मरीज को थकान, वजन घटने, त्वचा पर पीलापन और हल्का बुखार आता है। हालांकि भारत में इसके मामले कम है। इसका संक्रमण होने पर मरीज को थकान, वजन घटने, स्किन पीली दिखना और बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं।

    ''

  3. 5 बातें जो जरूर ध्यान रखें

    • लक्षण दिखते ही जांच कराएं : हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखने ही हेपेटोलॉजिस्ट से मिलें और जांच कराएं। कुछ कॉमन लक्षण जैसे लिवर का आकार बढने, त्वचा की रंगत में पीलापन, मिचली, यूरिन पीला होना, हल्का बुखार और शारीरिक बदलावों को देखकर लिवर फंक्शन टैस्ट, पेट का अल्ट्रासाउंड व लिवर बायोप्सी कराने की सलाह दी जाती है।
    • बारिश में खास सावधानी बरतें: सड़क किनारे लगी दुकानों पर मिलने वाला फूड लेने से बचें। बारिश के दिनों इसका खास ख्याल रखें। संक्रमित इंसान की चीजों का इस्तेमाल करने से बचें और असुरक्षित शारीरिक सम्बंध न बनाएं। संक्रमित सुई का इस्तेमाल न करें और रक्त चढ़वाते समय इसकी जांच कराएं।
    • नवजात को टीका लगवाएं : गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर हेपेटाइटिस-बी की जांच के साथ इसका टीका लगवाने की सलाह दी जाती है। डिलीवरी के बाद नवजात को भी इसका टीका लगवाएं। प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस-ई ज्यादा खतरनाक है जो लिवर के फेल होने का कारण बन सकता है। इसका टीका न होने के कारण बचाव ही इलाज है। इससे बचने के लिए उबला पानी पीएं, खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं, और प्रेग्नेंसी के दौरान बाहर का खाना खाने से बचें।
    • क्या खाएं : खाने में हरी सब्जियां, पपीता, खीरा, सलाद, नारियल पानी, टमाटर, अंगूर, मूली, ब्राउन राइस किशमिश, बादाम को डाइट में शामिल करें। हरी सब्जियां को अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करें।
    • क्या न खाएं : अधिक गर्म, तेल और मसाले वाले फूड, रिफाइंड आटा, डिब्बाबंद फूड, अल्कोहल वाले प्रोडक्ट लेने से बचें। केक, पेस्ट्रीज और चॉकलेट सीमित मात्रा में लें।

    ''

Translate »