जीका वायरस जान लेवा है

हेल्थ डेस्क।बारिश के मौसम में सिर्फ पानी नहीं बरसता बल्कि मुसीबत भी जमकर बरसती है। जैसे ही बरसात का मौसम खत्म होने लगता है पानी से संबंधित बीमारियां अपना पैर पसारना शुरू कर देती हैं। मच्छरों के वजह से फैलने वाले एक ऐसे ही वायरस का जिक्र यहां पर हम कर रहे हैं ‌जिसने साल 2016 में हंगामा मचा दिया था। ये ऐसा वायरस है जो सीधे तौर पर नवजातों को अपने आगोश में लेता है। इस वायरस के प्रभाव में आने के वजह से बच्चों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ता है। बच्चों के लिए घातक इस वायरस के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

जीका वायरस का इतिहास
वर्ष 1940 में सबसे पहले जीका वायरस युगांडा में मिला था। लेकिन इसके बाद ये काफी तेजी के साथ इसने अफ्रीका के कई हिस्सों में अपना पैर पसार लिया। दक्षिण प्रशांत और एशिया के कुछ देशों को छूते हुए ये लैटिन अमेरिका तक पहुंच गया। ब्राजील में जब इसने अपना प्रकोप दिखाया तो कुछ विशेषज्ञों ने गहन अध्ययन के जरिए ये अंदेशा लगाया कि ये 2014 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान एशिया व दक्षिण प्रशांत के तरफ से आया होगा। हालांकि इस दावे की पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है।

क्या हैं इसके लक्षण
ये वायरस एंडीज इजिप्टी नाम के मच्छर से फैलता है। ये वही मच्‍छर है जिसके कारण पीला बुख़ार, डेंगू व चिकुनगुनिया जैसी विषाणुजनित बीमारियां फैलती हैं। जीका संक्रमित मां से सीधे नवजातों में फैलती है। ये वायरस ब्लड ट्रांसफ्यूजन व यौन सम्बन्धों से भी फैलती है। जीका को तुरंत पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षणों की व्याख्या सटीकता के साथ अब तक सामने नहीं आई है। लेकिन कहा जाता है कि मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के भीतर चार में से तीन व्यक्तियों में तेज बुखार, रैशेज, सिर दर्द और जोड़ों में तेज दर्द होने के लक्षण दिख सकते हैं।

इससे क्या होती है समस्‍या
इससे माइक्रोसेफली नाम की बीमारी का खतरा बना रहता है। माइक्रोसेफली एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है और उसके दिमाग का पूरा विकास नहीं हो पाता। इससे बच्चों की जान भी जा सकती है। इसके प्रकोप से बच जाने वाले बच्चे ताउम्र बुद्धि सम्बन्धी विकारों से पीड़ित रहते हैं।

कैसे बचें
जीका वायरस का कोई इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है, इससे बचने का एकमात्र विकल्प ये है कि आप जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी कीट नाशकों का उपयोग, पूरी बाजू के कपड़े जिससे शरीर कवर हो और खिड़कियों और दरवाजों को बंद करने की सलाह देते हैं। इस बीमारी में सजगता ही सबसे बड़ा उपाय है।सोर्स ऑफ दैनिक भास्कर

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