वाराणसी। विशेष न्यायाधीश (भ्र्ष्टाचार निवारण) अविनाश नारायण पाण्डेय की कोर्ट ने लंका थाने के जानलेवा हमले के मामले में त्रिपुरा भैरवी निवासी 82 वर्षीय वृद्ध शिव सरदार और जद्दू मंडी निवासी अभियुक्त के दामाद पवन यादव को दोषी पाते हुए 10 वर्ष के कैद और 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि दोनों अभियुक्तों द्वारा कमल प्रकाश पर उस आशय अथवा ज्ञान से फायर किया गया कि यदि उनके कृत्य से कमल प्रकाश की मृत्यु हो जाती तब हत्या के अपराध से दोषी होतें।एडीजीसी रोहित मौर्य, अपर्णा पाठक और सीबीसीआईडी के एसपीओ सुशील कुमार के मुताबिक लंका के डाफी निवासी वादी निर्मल प्रकाश के बड़े भाई कमल प्रकाश उर्फ पप्पू की जमीन सम्बन्धी रंजिश शिव सरदार और उसके दामाद पवन से थी, आरोप है कि 17 नवम्बर 2003 को दिन में लगभग 11 बजे वादी अपने भाई को बैठाकर शहर जा रहा था जैसे ही डाफी बाईपास पुलिया के पास पहुंचा तभी एक बाइक पर सवार दोनों अभियुक्तों ने वादी और उसके भाई को रोक लिया और दोनों ने गोली चला दी, जान बचाने की नीयत से भागने पर शिव सरदार ने वादी के भाई कमल प्रकाश को दौड़ाकर पीठ में गोली मार दी, शोर पर दोनों अभियुक्त भग गए राहगीरों की मदद से घायल को हेरिटेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। प्रकरण की जांच 24 जनवरी 2004 को सी बी सी आई डी को प्रदेश शासन ने सौंप दी, 7 जुलाई 2004 को दोनों अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। अभियोजन ने विचारण के दौरान 6 गवाह पेश किया।