इंदौर ।
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के कड़कनाथ मुर्गे के बाद अब इंदौर के मशहूर व्यंजन पोहे को जल्द ही जीआई टैग मिल सकता है। इंदौर की मिठाई और नमकीन निर्माता विक्रेता संघ ने इंदौरी पोहे के अलावा दूध से बनी शिकंजी, लौंग सेव और खट्टा-मीठा नमकीन को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिलाने की तैयारी शुरू कर दी हैं।
संगठन के सचिव अनुराग बोथरा ने बताया कि हम वे सभी दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे इन खाद्य पदार्थों के स्थानीय इतिहास का पता चल सके ताकि भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री में आवेदन कर सकें।
बोथरा ने बताया कि इंदौर के पोहे के दुनियाभर में कद्रदान हैं। हमारे पास बरसों पुरानी एक तस्वीर है, जिसमें देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू इसका लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी कई बार अलग-अलग मौकों पर पोहे के जायके का जिक्र कर चुके हैं। हालांकि जीआई टैग हासिल करना इतना आसान नहीं होगा।
केंद्र सरकार का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विकास संस्थान, इंदौरी पोहा समेत चारों मालवी व्यंजनों को जीआई तमगा दिलाने में इंदौर के संघ की मदद कर रहा है। संस्थान के निदेशक नीलेश त्रिवेदी ने कहा कि जीआई टैग मिलने का बाद चारों व्यंजनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबारी पहचान मिलेगी। उत्पादकों या निर्माताओं को इस खास टैग से न केवल उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग में मदद मिलेगी, बल्कि नकल करने वालों से भी कानूनी संरक्षण मिलेगा।
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