खुशहाल भविष्य के लिए भू-जल बचाएं ‘‘ ‘‘रोजमर्रा के घरेलू कार्यों में जल बचत करें-डीएम

सोनभद्र/दिनांक 11 जुलाई,2019। ‘‘खुशहाल भविष्य के लिए भू-जल बचाएं ‘‘ ‘‘रोजमर्रा के घरेलू कार्यों में जल बचत करें‘‘ ‘‘भावी पीढ़ी के लिए भू-जल को संजोकर रखें‘‘। क्या होगा कल, अगर नहीं बचायेंगे, वर्षा जल। हकीकत में जल ही जीवन है, ‘‘जल बचाओं-जीवन बचाओं‘‘ को आत्मसात करें, लिहाजा वर्षा के पानी को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित किया जाय।उक्त बातेंं जिलाधिकारी श्री अंकित कुमार अग्रवाल ने भू-जल सप्ताह 16 जुलाई, 2019 से शुरू होकर 22 जुलाई, 2019 तक चलने वाले भू-जल सप्ताह को सफल बनाने के निमित्त कलेक्ट्रेट मीटिंग हाल में आयोजित समीक्षा बैठक में कहीं। जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी मषीनरी के लोग पूरी तत्परता के साथ जल संरक्षण के लिए कोषिष करते हुए ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षित करें। उन्होंने कहा कि जनपद के नागरिक वर्षा के हर बूंद को संरक्षित करके जिले के सभी क्षेत्र को सालों साल सिचाई /दैनिक उपयोग के साथ ही शुद्ध पेयजल हेतु आत्म निर्भर करें, सरकारी मषानरी के साथ ही आम नागरिक में इच्छाश्षक्ति पैदा करने की ज़रूरत है, ताकि जल स्रोतों को मजबूत करते हुए वर्षा जल को प्यार के साथ संरक्षित किया जाय। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक षिक्षा अधिकारी को स्कूलों में जल संरक्षण सम्बन्धी वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला, वाल राईटिंग आदि कराने के निर्देष दियें। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत व राज विभाग के साथ ही अन्य सहयोगी विभागों के अधिकारी भू-गर्भ जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता में सहयोग करें। जिलाधिकारी श्री अग्रवाल ने कहाकि भू-जल संरक्षण के लिए मेड़बन्दी, तालाब, पोखरों, बन्धा/ बन्धी, चेकडैमों व स्थानीय जल स्रोता को सम्बन्धित विभागों द्वारा मजबूत किया जाय। जिलाधिकारी ने सोनभद्र जिले में मई महीने से अब तक जल संरक्षण के क्षेत्र में किये गये प्रयासों पर विस्तार से रोषनी डालते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए हमारे पूर्वजों ने जो परम्पराएं बनाये हैं, वे पूरी तरीके से वैज्ञानिक व जल संरक्षण के लिए उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती, प्रकृति में भू-जल का भण्डार सीमित है ,वैसे तो पृथ्वी पर 72 प्रतिषत मार्ग जल है,श्षेष 28 प्रतिषत स्थल जल है,परन्तु, 72 प्रतिषत का 97 प्रतिषत जल खारा तथा लवणी है जो समुद्र के रूप में है जिसका उपयोग कृषि एवं पेयजल के लिए उपयोग नही होता, षेष 3 प्रतिषत मीठा जल में 2 प्रतिषत हिमानी तथा नमी के रूप में है उसे विषेष तकनीकि के ज़रिये उपयोग किया जा सकता है । इसमें भी मात्र 0.6 प्रतिषत भू-जल ही हम उपयोग कर पाते हैं शेष 0.4 प्रतिषत जल जलाषय,नदी तालाब के रूप में है । प्रदेष में 75 प्रतिषत सिंचाई तथा 80 प्रतिषत आबादी अपने रोज़मर्रा के प्रयोग मे तथा पेयजल हेतु भू-जल पर निर्भर है । इसी पानी से कल कारखाने भी संचालित होते है । इन परिस्थितियों में जल संरक्षण हम सभी का परम दायित्व है। जल संरक्षित करके हम सभी लोग पुनीत कार्य के पात्र बनें। बैठक में जिलाधिकारी श्री अंकित कुमार अग्रवाल के अलावा लघु सिंचाई विभग व भू-गर्भ जल विभाग से जुड़ें कार्मिकगण मौजूद रहें।

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