चंडीगढ़
चंडीगढ़ ।सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर निकल आया है। इस मामले को लेकर पंजाब व हरियाणा राज्यों के अपनी मांगों के पक्ष में अड़े रहने से दोनों के बीच काफी तनातनी भी रही है।
अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को बैठक कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि अगर तीनों सरकारों की बैठक के दौरान भी कोई नतीजा नहीं निकलता है तो इसके बाद सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों को लागू करवाएगी। मामले को लेकर अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बाद यह तो साफ है कि अब इस मामले मे अदालत कुछ ठोस कदम उठा सकती है। एसवाईएल के मामले में अदालत दो बार हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुकी है। लेकिन पंजाब एक बूंद भी पानी देने को तैयार नहीं है। पानी देने को लेकर पंजाब का अपना तर्क है।
सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर निकल आया है। इस मामले को लेकर पंजाब व हरियाणा राज्यों के अपनी मांगों के पक्ष में अड़े रहने से दोनों के बीच काफी तनातनी भी रही है। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को बैठक कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर तीनों सरकारों की बैठक के दौरान भी कोई नतीजा नहीं निकलता है तो इसके बाद सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों को लागू करवाएगी।
मामले को लेकर अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बाद यह तो साफ है कि अब इस मामले मे अदालत कुछ ठोस कदम उठा सकती है। एसवाईएल के मामले में अदालत दो बार हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुकी है। लेकिन पंजाब एक बूंद भी पानी देने को तैयार नहीं है। पानी देने को लेकर पंजाब का अपना तर्क है।
जल समझौते के तहत 3.5 एमएएफ पानी देना है :1976 में केंद्र सरकार ने एसवाईएल की अधिसूचना जारी करते हुए हरियाणा के लिए 3.5 एमएएफ पानी तय किया। जबकि वर्ष 1985 में पंजाब विधानसभा में दिसंबर 1981 में हुई जल समझौते के खिलाफ प्रस्ताव पारित। वर्ष 1996 में समझौता सिरे नहीं चढ़ने पर हरियाणा सुप्रीम कोर्ट चला गया था। जिसके बाद वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
आदेशों की कापी नहीं मिली :अभी तक कोर्ट के ऐसे किसी आदेशों की कापी नहीं मिली है। इसके बाद ही मामले में कुछ कहा जा सकता है।- कैप्टन अमरिंदर सिंह, सीएम
मजबूती से पक्ष रखे पंजाब :पंजाब के पास देने को पानी नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने बात करने को कहा है तो पंजाब अपना पक्ष मजबूती से रखे।