8 वर्ष में चीन को पीछे छोड़ नंबर 1 होंगे हम, एक्सपर्ट बोले- भारत में सख्त पॉलिसी संभव नहीं

नंबर 1 होंगे हम, एक्सपर्ट बोले- भारत में सख्त पॉलिसी संभव नहीं

2011 की जनगणना के मुताबिक- हिंदू-मुस्लिम दोनों की ही जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई
1801 के भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल

थे, उस वक्त आबादी 20 करोड़ से कम थी
दुनिया की 17.85% आबादी अकेले भारत की, 2001-2011 के बीच देश में जनसंख्या 17.7% की दर से बढ़ी

नई दिल्ली। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अर्थव्यवस्था और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन-डीईएसए) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि 2027 तक भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी। वर्तमान में भारत की जनसंख्या करीब 1.36 अरब और चीन की 1.42 अरब है। रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि 2050 तक भारत 164 करोड़ जनसंख्या के साथ टॉप पर पहुंच जाएगा।

2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत की जनसंख्या 1 अरब 21 करोड़ 01 लाख 93 हजार 422 है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा तो सिक्किम सबसे छोटा राज्य है।देश में पहली बार जनगणना ब्रिटिश काल में 1872 में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई।1974 से हर 10 साल की अवधि में जनगणना की जाने लगी। जनसंख्या का काम गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्तकार्यालय द्वारा किया जाता है।

यह कहना गलत है कि जनसंख्या तेजी से बढ़ रही’

देवीअहिल्या विश्वद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हेड रहे प्रोफेसर गणेश कावड़िया के मुताबिक, यह कहना गलत है कि भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या की ग्रोथ रेट में कमी आई है। व‌र्ल्ड बैंक डाटा के अनुसार 2010 में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 1.36% थी। 2017 में यह आंकड़ा घटकर 1.13% पर आ गया।
1901 में सिर्फ 23 करोड़ थी हमारी जनसंख्या।

डॉ कावड़िया कहते हैं कि हमारे लिए बढ़ी हुई जनसंख्या चुनौती नहीं बल्कि युवाओं को रोजगार देना चुनौती है। विकासशील देशों में वर्कफोर्स लगातार कम हो रही है। ऐसे में भविष्य में काम की पूर्ति भारत ही कर सकेगा। इसके लिए जरूरी है कि युवाओं को स्किल्ड बनाया जाए। अच्छा पढ़ाया-लिखाया जाए ताकि वे दूसरे देशों के लिए भी प्रोडक्टिव हों और हमारे देश के लिए भी।

जनसंख्या बढ़ने का कारण क्या?

प्रो कावड़ियां कहते हैं कि भारत में लिंगानुपात दूसरी बड़ी समस्या है। तमाम कोशिशों के बाद भी लड़कियों की संख्या नहीं बढ़ पा रही। जनसंख्या और गरीबी का सीधा संबंध है। संपन्न लोग आबादी नहीं बढ़ाते क्योंकि वे अपने बच्चों को पालन-पोषण अच्छे से करना चाहते हैं। उन्हें अच्छी जिंदगी देना चाहते हैं इसलिए वे भविष्य की योजना भी इसी तरह से बनाते हैं।
वहीं गरीबों को इन चीजों से कोई मतलब नहीं होता। इसलिए हमेशा गरीब के घर में ज्यादा बच्चे दिखते हैं। यदि हम सभी को रोजगार देंगे और गरीबी हटाएंगे तो जनसंख्या का ग्राफ अपने आप तेजी से नीचे जाने लगेगा।
‘जनसंख्या बढ़ना किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं’

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ना कभी भी किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं होता क्योंकि जनसंख्या बढ़ने से हमारे संसाधन तो बढ़ नहीं जाते। पानी, जमीन दूसरे नेचुरल रिसोर्स हमारे पास सीमित हैं। जनसंख्या बढ़ने से इनका दोहन ज्यादा होगा। दुनिया में भी हैसियत बढ़ाना है तो जनसंख्या नहीं बल्कि इनोवेशन, इम्पोर्ट बढ़ाना होगा। ऐसे प्रोडक्ट पैदा करना होंगे, जिनकी दुनिया को दरकार हो।
जनसंख्या के लिहाज से यूपी सबसे बड़ा राज्य।

वे कहते हैं कि हमारी जनसंख्या बढ़ने की दर कम हुई है लेकिन जनसंख्या तो फिर भी बढ़ेगी ही। अभी हमारा टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 1.8 के आसपास है। यह कभी शून्य तो होगी नहीं। बच्चे तो पैदा होंगे ही। बस हम पॉपुलेशन की दर को कम कर सकते हैं लेकिन इसे भी एक सीमा के बाद कम नहीं किया जा सकता।
यूपी के बाद महाराष्ट्र, बिहार सबसे बड़े।

चीन जैसी पॉलिसी भारत में बनाना संभव नहीं क्योंकि उनका और हमारा सामाजिक ताना-बाना अलग-अलग है। डॉ सिंह के मुताबिक, बढ़ती पॉपुलेशन के हिसाब से सरकार को अभी से योजनाएं बनाना होंगी। लोगों को स्किल्ड बनाना होगा। बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी, ऐसे में उनकी केयर का इंतजाम भी करना होगा। पहले लोग संयुक्ति परिवार में रहते थे तो मां-बाप की केयर हो जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिंदू-मुस्लिम दोनों की जनसंख्या दर में आई कमी

देश में 79 फीसदी से ज्यादा हिंदू आबादी।

2011 की जनणना के मुताबिक, हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर 19.92%की से गिरकर 16.76%पर आ गई। वहीं मुसलमानों की आबादी 29.5%की दर से बढ़ रही थी जो गिरकर 24.6% पर आ चुकी है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5%, सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है।

देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले टॉप-5 शहर

शहर जनसंख्या
मुंबई 1 करोड़ 24 लाख
दिल्ली 1 करोड़ 10 लाख
बेंगलुरू 84 लाख
हैदराबाद 68 लाख
अहमदाबाद 55 लाख
देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले टॉप-5 राज्य

राज्य जनसंख्या
उत्तरप्रदेश 19 करोड़ 95 लाख
महाराष्ट्र 11 करोड़ 23 लाख
बिहार 10 करोड़ 38 लाख
पश्चिम बंगाल 9 करोड़ 13 लाख
मप्र 7 करोड़ 25 लाख
देश के 5 सबसे कम जनसंख्या वाले राज्य

राज्य जनसंख्या
नगालैंड 19 लाख 80 हजार
गोवा 14 लाख 57 हजार
अरुणाचल प्रदेश 13 लाख 82 हजार
मिजोरम 10 लाख 91 हजार
सिक्किम 6 लाख 7 हजार
भारत की आबादी से जुड़े फैक्ट्स

1901 में भारत की आबादी 23 करोड़ थी और यह सदी जब खत्म हुई तो वर्ष 2000 में तो हमने 1 अरब का आंकड़ा पार कर लिया। यानी 100 सालों में 77 करोड़ की बढ़ोतरी।
दुनिया की 17.5 फीसदी जनसंख्या हैं हम।

यहां जानना दिलचस्प होगा कि 1801 में भारत (उस जमाने के भारत में अब के पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल थे) की कुल आबादी 20 करोड़ से कम थी।
दुनिया की 17.85 प्रतिशत आबादी अकेले भारत की है।
2001 से 2011 के बीच देश में जनसंख्या 17.7% की दर से बढ़ी। इस दौरान 181.5 मिलियन लोग देश में बढ़े।
सिर्फ 40 सालों में भारत की जनसंख्या लगभग दोगुनी हुई।
भारत में प्रतिवर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व 416 है। यह दुनिया में 31वें नंबर पर है। मुंबई में प्रतिवर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व 21000 है।
देशभर में 50 देश ऐसे जहां जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा है।
वर्तमान आबादी में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग 25 साल की उम्र से कम के हैं। 65 प्रतिशत लोग 35 साल तक की उम्र के हैं।
यूएसए, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश और जापान को मिला लें तब इनकी जनसंख्या पहुंच पाएगी भारत के बराबर।
दुनिया का हर छठवां व्यक्ति भारत में रहता है।दैनिक भाष्कर के सौजन्य से न्यूज़।

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