
धर्म डेस्क।(सुमन द्विवेदी )।ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन गोदान, वस्त्र दान, फल, धार्मिक पुस्तकों का दान करना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर में सुख शांति का वास होता है। इस दिन अपने घर की छत पर पानी से भरा बर्तन अवश्य रखें।
एक बार भीम ने व्यासजी से निवेदन किया कि मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता। ऐसा उपाय बताएं जिसके प्रभाव से सद्गति प्राप्त हो जाए। तब व्यासजी ने कहा कि वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी का व्रत नहीं हो सकता तो केवल एक निर्जला कर लो, इससे सालभर की एकादशी के समान फल प्राप्त हो जाएगा। भीम ने ऐसा ही किया। इसलिए इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु को पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान का भोग लगाएं। शाम के समय तुलसी जी की पूजा करें। इस दिन जल कलश का दान करने से सालभर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। इस व्रत में हो सके तो मौन रहने का प्रयास करें। झूठ न बोलें, गुस्सा और विवाद न करें। निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए। एकादशी वाले दिन घर में चावल नहीं पकाना चाहिए।
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