धर्म डेस्क (सुमन द्विवेदी)ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस बार निर्जला एकादशी पर गुरुवार होने से शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार यह संयोग छह वर्ष बाद बन रहा है। इस दिन लोग निर्जल व्रत रखकर विधि-विधान से दान करते हैं। एकादशी व्रत विशेष रूप से जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। यह व्रत जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला माना गया है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, पर निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है।
इस बार निर्जला एकादशी और गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। गुरुवार भगवान विष्णु को सबसे ज्यादा प्रिय दिन है, इसलिए इस दिन को ही भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अब से पहले निर्जला एकादशी और गुरुवार का शुभ संयोग वर्ष 2013 में बना था। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसूत बताते हैं कि महाभारतकाल में महर्षि वेदव्यास ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया था। इस एकादशी को भीम सैनी एकादशी भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य मनोज पांडेय बताते हैं कि यह व्रत हमें जल संरक्षण का संदेश देता है। इस व्रत में प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर मन में भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। संध्याकाल में व्रत का पारायण करें। अगर निर्जला एकादशी का व्रत न भी कर पाएं तो इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें। इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। भोजन और खाद्य पदार्थों का दान भी कर सकते हैं। निर्जला एकादशी पर व्रत करने और दान करने से जीवन में समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है।