अलीगढ़।अलीगढ़ के टप्पल में हुई ढाई साल की बच्ची की मौत को दस दिन बीत चुके हैं. लेकिन टप्पल अब तक इस जघन्य घटना के सदमे से उबर नहीं सका है. टप्पल में अब भी तनाव का माहौल है. बच्ची की हत्या के आरोपियों के मुसलमान होने के चलते घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. सिर्फ कस्बे में ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी ये ‘कोशिश’ साफ दिखती है।
वहीं कस्बे के हिंदूवादी संगठन के कुछ लोग इस वारदात के लिए सभी मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जबकि कस्बे के मुस्लिमों का कहना है कि वह इस घटना से बेहद दुखी है और वह भी चाहते हैं कि दोषियों को फांसी की सजा हो. घटना को सांप्रदायिक रंग देने की इन कोशिशों के बीच बच्ची के परिजनों का कहना है कि वह सिर्फ ये चाहते हैं कि दोषियों को फांसी की सजा हो।
★ टप्पल को सुलगाने की कोशिश
टप्पल में बच्ची की निर्मम हत्या के बाद से इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. गांव के लोगों का कहना है कि बाहर के लोग यहां आकर दंगा भड़काने की कोशिश में हैं. हत्या के मामले को हिंदू-मुस्लिम बनाने की कोशिश की जा रही है. बाहर से आए लोग गांव के भोले-भाले लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. भगवा गमछा पहने लोग जयश्री राम के नारे लगाकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
अलीगढ़ से रिपोर्टिंग करके लौट रही हूं. टप्पल गांव में फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली से भर-भर कर गाड़ियां जा रही हैं. गांव में हजारों की संख्या में सीआरपीएफ और पुलिस वाले इन बाहरी युवकों को खदेड़ रहे हैं. मुंह पर भगवा कपड़ा बांधे कुछ नौजवान किसी विशेष समुदाय से बदला लेने की बात करते हुए जय श्री राम के नारे लगा रहे हैं. कई सुरक्षाबल के जवानों से ही भिड़े जा रहे हैं. इनकी गाड़ियों को हाइवे पर ही रोका भी जा रहा है. इलाके में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. ट्विंकल के घर के सामने शोकसभा में कोई टीका लगाए हुए हिंदू आता है और सबको किसी अलग भाषा में कुछ समझा रहा है. अंदर ट्विंकल के पापा मुझसे कह रहे हैं कि हम इन लोगों की बातों में नहीं आ रहे हैं. ट्विंकल की मां दस दिन से खाना छोड़े बैठी हैं. माता-पिता चाहते हैं दोषियों को फांसी की सजा हो. मुस्लिम परिवार भी यही कह रहे हैं कि दोषियों को फांसी से भी ऊपर की सजा हो. वो हमारी भी बच्ची थी।
★ 9 जून को भी की गई थी दंगा भड़काने की कोशिश
बीते 9 जून को अलीगढ़ के जट्टारी में हरियाणा के वल्लभगढ़ का एक मुस्लिम परिवार गाड़ी में बैठकर एक सगाई समारोह में जा रहा था. गाड़ी में बुर्कानशीं औरतें भी बैठी थीं. गाड़ी में इस परिवार के साथ उनकी परिचित हिंदू लड़की भी बैठी थी.
गाड़ी टप्पल से गुजर रही थी. इसी दौरान कुछ लोग बाइक पर बैठकर आए, जिन्होंने लोहे के सरिया से गाड़ी पर हमला किया. हमलावरों ने गाड़ी की चाबी निकाल ली. इससे पहले की हमलावर मुस्लिम परिवार पर टूट पड़ते, गाड़ी में बैठी हिंदू लड़की बाहर आकर हमलावरों और मुस्लिम परिवार के बीच आ गई. हिंदू लड़की ने हमलावरों को समझाया कि वे बेगुनाहों पर अपना गुस्सा क्यों निकाल रहे हैं. बच्ची के साथ हुई दरिंदगी से सब दुखी हैं. लड़की की बातें सुनकर हमलावरों में से एक को समझ आई, जिसने चाबी लौटाते हुए उनसे कहा कि वे लोग तुरंत वहां से निकल जाएं. इस तरह से दंगा भड़कने से बचा।
★ घटना को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की कोशिशों पर पीड़ित परिवार ने क्या कहा?
अपनी ढाई साल की बच्ची को खो चुके पिता भी हिंदू–मुस्लिम दंगा भड़कने को रोकने में लगे हुए हैं. बच्ची की हत्या को हिंदू-मुसलमान रंग दिए जाने पर उन्होंने कहा, ‘मेरी बच्ची चली गई है. मैं बस चाहता हूं कि दोषियों को सजा हो. मैं ये नहीं कह रहा कि सभी मुस्लिमों को सजा हो. हम यहां सालों से भाईचारे के साथ रह रहे हैं.’
बच्ची के चाचा कहते हैं, ‘तीन–चार दिन से बाहर के लोग आकर भड़काने की कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन हम नहीं भड़क रहे हैं. मामला हिंदू–मुसलमान का है ही नहीं. आप बाहर जाकर देख सकते हैं कि अभी वो भड़काऊ बातें कर रहे हैं.।
★ तनाव से भयभीत हैं मुस्लिम परिवार
इस तरह के हालातों से कस्बे में रह रहे मुस्लिम परिवार बेहद डरे हुए हैं. कुछ परिवार कस्बा छोड़कर चले गए हैं, तो कुछ घरों में कैद होकर रह गए हैं. मुस्लिम परिवारों का कहना है कि बाहर से आए लोग नारेबाजी करते हुए निकलते हैं. तनाव को देखते हुए पीड़ित परिवार को जानने वाले मुस्लिम परिवार भी अब उनके दुख में शामिल होने नहीं पहुंच पा रहे हैं.।
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