आलम साहब के अंतिम शव यात्रा में उमड़ा जन सैलाब

शाहगंज/सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव) गांव-गिराव मे पले बढ़े वरिष्ठ साहित्यकार मुनीर बक्श आलम ने कल सोमवार को रात्रि 9 बजे आखिरी सांस ली। गांव बनौरा से मिलान करने वाले आलम साहब मधुमेह सहित अन्य कई बिमारियों से पिछले दो वर्षों से ग्रसित थे और कल दुनिया से अलविदा हो गए।

चुर्क इण्टर कालेज में अध्यापन का कार्य करते हुए साहित्यिक यात्रा की शुरुआत की थी साथ ही हिंदी और उर्दू पर समान पकड़ रखते हुए शिक्षक के रूप में ख्याति हासिल की और राष्ट्रीय स्तर के कई पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचना प्रकाशित हैं। साहित्यिक सफर के दौरान ही संत स्वामी अडगडा़नंद जी महाराज के सम्पर्क में आए और गीता पर रचित टीका यथार्थ गीता का उर्दू में अनुवाद करने की जिम्मेदारी मिली ।जिससे साहित्य जगत में कई ख्याति पुरस्कार से नवाजा गया। आज पैतृक निवास बनौरा मे आलम साहब के दर्शन के लिए दिन भर लोगों का ताता लगा रहा और शाम को दफनाया गया।

Translate »