प्रभागीय बनाधिकारी रेनुकूट के संरक्षण में गांधी गिरी करते हो प्रकृत दोहन के लिये मौन स्वीकृति दे रखी
सोनभद्र म्योरपुर।उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के रेनुकूट बन प्रभाग सबसे बड़ा पर्यावरण के लिये अभिशाप साबित हो रहा है।सोनभद्र जनपद के रेनुकूट बन प्रभाग प्रभागीय बनाधिकारी रेनुकूट के संरक्षण में गांधी गिरी करते हो प्रकृत दोहन के लिये मौन स्वीकृति दे रखी है।गौरतलब है कि उप्र के जनपद सोनभद्र के वन प्रभाग रेणुकूट के म्योरपुर वन क्षेत्र गढ़िया व करकोरी ,हरहोरी गांव में हरियाली के दुश्मन दिनदहाड़े हरे पेड़ों पर आरा चला हैं। दर्जनों सागौन के पेड़ काटे गए जिसके चलते सरकार और सामाजिक संस्थाओं द्वारा पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास बेमानी साबित ही रहे हैं।वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों बेसिक कीमती सागौन व कत्था के पेड़ की इस अवैध को रोकने के जिम्मेदार वन विभाग वन माफियाओं से मिले हैं अथवा बेफिक्र हैं। माफिया सागौन व अन्य लकड़ी को काटकर ले जा रहे हैं। जंगल में जगह-जगह सागौन, कत्था की लकड़ियां ठूठो हैं। उन्होंने बताया कि दिन में वन माफिया के लोग जंगल में कटाई करते हैं शहरों में बेच देते हैंबताया कि एक ओर शासन द्वारा जंगलों की सुरक्षा के लिए वन कर्मचारियों को तैनात किया गया है लेकिन वन विभाग के कर्मचारी ही वन माफियों से मिलकर जंगलों का सफाया करने में जुटे हुए हैं। यदि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो जंगलों की जगह केवल वीरान जगह ही नजर आएगी।मामला सोनभद्र जनपद के म्योरपुर वन रेंज के गाड़ियां करकोरी गांव का है। यहां सागौन प्रतिबन्धित प्रजाति के हरे पेड़ बैटरी चालित आरा से काटे जा रहे हैं नतीजा यह है कि कभी चारों तरफ दिखने वाली हरियाली और बाग-बगीचे धीरे-धीरे वीरान होते जा रहे हैं। इस सन्दर्भ में जब वन विभाग के एस डी ओ मनमोहन मिश्र से बात की गयी तो उन्होंने बताया की इस समय मै छूट्टी पर हूँ आते ही मौके पर जाकर इसकी जाँच करूँगा और कटान मिलने पर संबंधितों पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।बताते चले के पौधरोपण के नाम पर भी भारी पैमाने पर लूट है।बन विभाग के अधिकारी में होड़ लगी है लूट सके तो लूट अन्त्य काल पछतायेगा।कमोवेश विगत पांच वर्षों का पौधरोपण का आंकड़ा देखा जाय तो कितने पौधे रोपण किये गये कितने बचे है आप साफ नजर आ जायेगा प्रकृति के बीहड़ में छिपे अजगरों ने डकार लिया किसी ने आवाज तक उठायी।सिर्फ दिखावा के लिए सामाजिक से संगठन विश्व पर्यावरण पा बड़े लंबे भाषण देते है जमीन पर हकीकत कुछ और है।