फर्जी अंक तालिका एवं उपाधि पर ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है – राज्यपाल

राज्यपाल की अध्यक्षता में कुलपति सम्मेलन सम्पन्न

विश्वविद्यालयों की उपलब्धियाँ समाज के सामने आनी
चाहिए – श्री नाईक

लखनऊः 09 जून, 2019।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राज्य विश्वविद्यालय श्री राम नाईक की अध्यक्षता में आज राजभवन में कुलपति सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें समस्त राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव, विशेष सचिव डाॅ0 अशोक चन्द्र, विशेष सचिव उच्च शिक्षा श्री बी0वी0 सिंह सहित राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी श्री राजवीर सिंह राठौर भी उपस्थित थे। कुलपति सम्मेलन में एजेण्डा के तौर पर परीक्षा परिणामों के घोषणा की अद्यतन स्थिति, शैक्षिक कलैण्डर वर्ष 2019-20 का निर्धारण, नकल, फर्जी अंकतालिका एवं उपाधियों पर नियंत्रण, नवीन नैक मूल्याकंन प्रक्रिया का अनुपालन, विश्वविद्यालयों के नये नियमों के परिप्रेक्ष्य में शैक्षिक संवर्ग के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया, शोध पीठ की स्थापना एवं शोध, विश्वविद्यालयों के बढ़ते वित्तीय भार के सापेक्ष वित्तीय संसाधन विषय पर विशेष रूप से चर्चा हुई।
विश्वविद्यालयों में वित्तीय संसाधन के संबंध में राज्यपाल ने तीन सदस्यीय कुलपतियों की समिति गठित की है, जिसमें (1) कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, (2) कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं (3) कुलपति, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर सदस्य होंगे जो अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत करेंगे। राज्यपाल उक्त रिपोर्ट को अपने सुझावों सहित शासन को संदर्भित करेंगे। कुलपति, ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ एवं कुलपति, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की दूसरी दो सदस्यीय समिति बनाई गई है जो पीएच0डी0 पूर्ण करने की तिथि के संबंध में विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्थापित अलग-अलग व्यवस्थाओं के दृष्टिगत एकरूपता लाने के लिये सुझाव देगी।
राज्यपाल ने कुलपति सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जो बाधाएं हैं उसे योग्य पद्धति से दूर करने पर विचार करें। रिक्तियाँ भरने के लिये योग्य ढंग से नियुक्ति होनी चाहिये। केन्द्र सरकार ने जो शिक्षा नीति घोषित की है उस पर भी विचार किया जाना चाहिए। स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों को लेकर यह देखने की आवश्यकता है कि वे समाज के लिये कितने उपयोगी हैं। जिन पाठ्यक्रमों की मांग हो उस पर परिवर्तन करने के लिये नियमित रूप से विचार करने की आवश्यकता है। प्रतिस्पर्धा के युग में शैक्षिक गुणवत्ता को लेकर हर विश्वविद्यालय अपनी स्थिति का मूल्यांकन करे। देश के प्रथम 100 विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश के भी विश्वविद्यालय सम्मिलित हों, इस भूमिका में कुलपतिगण काम करें। उन्होंने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता का विषय सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिये एक चुनौती है जिसे स्वीकार करते हुये बेहतर प्रदर्शन करने की आवश्यकता है।
श्री नाईक ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ शोध की गुणवत्ता को भी बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। शोध और शोध पीठों का लाभ समाज को मिलना चाहिए। उत्तर प्रदेश ने उच्च शिक्षा में नये आयाम में कदम रखा है। छात्राओं का प्रतिशत 2014-15 में 40 प्रतिशत था वह अब बढ़कर 56 प्रतिशत पहुंचा है। शैक्षिक सत्र 2018-19 में सम्पन्न हुये दीक्षान्त समारोह में 66 प्रतिशत पदक छात्राओं के पक्ष में गये हैं। महिला सशक्तीकरण का यह एक शुभ संदेश है। नकलविहीन परीक्षा कराने की दृष्टि से उठाये गये कदम सराहनीय थे। निःसन्देह इससे छात्रों की संख्या में कमी अवश्य आयी है, पर यह परिवर्तन लोगों के समझ में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की उपलब्धियाँ समाज के सामने आनी चाहिए।
राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा पटरी पर आ गयी है। उच्च शिक्षा में मौलिक परिवर्तन हुये हंै। चार वर्ष में सभी सत्र नियमित हुये हैं। दीक्षान्त समारोह समय पर तथा भारतीय वेशभूषा में सम्पन्न हुये हैं। सभी उपलब्धियाँ सामूहिक प्रयास का कारण हैं जो कुलपतियों के सहयोग से संभव हो सका है। परन्तुु अभी भी विश्वविद्यालयों में सुधार की काफी गुंजाइश है। पाठ्यक्रम कितना रोजगारपरक है इस पर भी विचार करें। नकल, फर्जी अंक तालिका एवं उपाधि पर ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। फर्जी अंक तालिका एवं उपाधि जैसे विषय किसी हालत में बर्दाश्त नहीं किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इससे जहाँ एक ओर विश्वविद्यालय की बदनामी होती है वहीं प्रदेश की छवि भी धूमिल होती है।
कुलपति सम्मेलन में ई-लर्निंग, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार शैक्षिक दिवस, प्रवेश, परीक्षाफल, शिक्षकों की उपलब्धता, आधारभूत सुविधाएं, ई-लाईब्रेरी, अभिलेखों की डिजिटाइजेशन आदि पर भी चर्चा हुई जिसमें कुलपतियों ने भी अपने-अपने विचार रखे।
कुलपति सम्मेलन के कार्यक्रम का संचालन अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल श्री हेमन्त राव द्वारा किया गया। स्वागत उद्बोधन विशेष सचिव डाॅ0 अशोक चन्द्र द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन विशेष कार्याधिकारी श्री राजवीर सिंह राठौर द्वारा दिया गया।
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