शाहगंज/सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव) कैमूर वन्य जीव विहार महुअरिया(ब्लैक वक घाटी) के वन क्षेत्र में जंगल विभाग के द्वारा दर्जनों चेकडेम का निर्माण करोडों की लागत से कराया गया।

लेकिन चेकडेम में पानी रोकने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पाने से जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवो की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे शिकार होने का खतरा भी बना रहता है। जबकि चेकडेम के साथ-साथ दस वाटर टैंक का निर्माण भी विभाग के द्वारा किया गया है, जिसमें प्रतिदिन टैंकर के माध्यम से पानी जानवरों के पीने के लिए व्यवस्था की जाती हैं।

इन सब के बावजूद वन क्षेत्र से आठ किलोमीटर दूर गौरीशंकर गाँव के पास दो नीलगाय नीम के पेड़ के नीचे देखने को मिली। नीलगाय के ऊपर कुत्तों के द्वारा शिकार करने का खतरा बराबर बना रहता है।

रावर्टसगंज वन्य क्षेत्र महुअरिया से होते हुए गुरूवल 20 किमी की परिधि में फैला हुआ है, महुअरिया वन्य क्षेत्र में ज्यादातर जानवर ब्लैंकबक घाटी में निवास करते हैं जहाँ काले और भूरे हिरन लगभग तीन सौ की संख्या में नर (काले) और मादा(भूरे) पाए जाते हैं। साथ ही सैकड़ों की संख्या में नीलगाय,चिंकारा,लकडबग्घा,भालू,लंगुर,बंदर जानवर देखने को मिलते हैं। एवं आदिमानव काल की भित्तचित्र आज भी देखने को मिल रही है। यहाँ प्रति वर्ष सर्दियों के मौसम में विदेशी मेहमान भी वन्य क्षेत्र की खूबसूरती और जंगली जानवर को देखने के लिए भ्रमण पर आते रहते हैं। महुअरिया वन्य क्षेत्र जिला मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर शाहगंज से राजपुर रोड पर स्थित है। जहाँ वर्षा ऋतु और शरद ॠतु में प्राकृतिक सुन्दरता की अमूल्य दृश्य देखने को मिल सकता है।
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