जापान में कार्यस्थल पर महिलाओं के ऊंची एड़ी की सैंडिल पहनने की अनिवार्यता बन चुके मीटू से है प्रेरित कूटू अभियान

एजेंसी टोकियो।जापान में कार्यस्थल पर महिलाओं के ऊंची एड़ी की सैंडिल पहनने की अनिवार्यता बन चुके चलन के खिलाफ ऑनलाइन अभियान शुरू हुआ। इस अभियान का असर इतना गहरा हुआ कि श्रम मंत्रालय नियम बनाने जा रही है ताकि महिलाओं को नियोक्ताओं की ऐसी मनमानी से बचाया जा सके। यह अभियान जापान की अभिनेत्री और स्वतंत्र लेखिका युमी इशिकावा ने शुरू किया। अब तक जिससे 19,000 महिलाएं जुड़ चुकी हैं।

#मीटू से प्रेरित है #कूटू अभियान
इस अभियान को ‘हैशटैग मीटू’ की तरह जापानी भाषा में ‘हैशटैग कूटू’ नाम दिया गया है। यह #KuToo अभियान, जापानी शब्द ‘कुत्सु’ और ‘कुत्सू’ से लिया गया है, जिसके अर्थ क्रमश: जूता और दर्द हैं। नाम ही महिलाओं के इस अनदेखे दर्द को दर्शाता है। युमी इशिकावा ने बताया कि दुनिया भर में लैंगिक भेदभाव का मुद्दा उठा रहे मीटू अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने सैंडिल से जुड़े भेदभाव पर अभियान शुरू किया।

नौकरी की अनिवार्य शर्त बन गई हाई हील सैंडिल
अभियानकर्ता महिलाओं का कहना है कि जापान में होटल से लेकर दफ्तरों में काम करने की इच्छुक महिलाओं के लिए हाई हील पहनना अघोषित अनिवार्य शर्त बन चुका है। कई नियोक्ता तो ऊंची सैंडिल को ड्रेस कोड मानते हैं। आठ से दस घंटे तक सैंडिल पहनने के कारण महिलाओं को पैरों में समस्या होने लगती है।

नियोक्ताओं पर कार्रवाई की मांग
युमी इशिकावा ने इस अभियान को कानूनी लड़ाई में बदलने का कदम उठाया है। उन्होंने श्रम मंत्रालय में महिलाओं के लिए दफ्तरों में हाई हील पहनने की अनिवार्यता के खिलाफ एक याचिका दाखिल की है। याचिका में ऐसा दबाव बनाने वाले नियोक्ताओं पर कार्रवाई की मांग की गई।

कान्स में हाई हील का हुआ था विरोध
2015 में प्रतिष्ठित कान्स फिल्म महोत्सव में नियम बनाया गया कि बिना हाई हील के महिलाएं रेड कार्पेट पर नहीं चलेंगी। इस ड्रेस कोड के विरोध में हॉलीवुड सुपरस्टार जूलिया रॉबर्ट्स नंगे पैर कान्स पहुंची थीं।

कनाडा ने कंपनियों को प्रतिबंधित किया
2017 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत ने कंपनियों ने महिला कर्मचारियों को ऊंची एड़ी के सैंडिल पहनने के लिए मजबूर किया, इस अभ्यास को खतरनाक और भेदभावपूर्ण बताया।

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