
धर्म डेस्क 3 जून। महिलाओं ने वट सावित्री व्रत रखकर विधिविधान पूजा करते हुए पति की सलामती व संतान की तरक्की के लिये ईश्वर से कामना की।वट सावित्री व्रत हर साल जयेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की सलामती व संतान की तरक्की की ईश्वर से कामना करती हैं। पंडित रमाकांत मिश्रा बताते हैं, कि इस बार वट सावित्री बहुत ही शुभ संयोगों में आ रहा है। इस दिन वट सावित्री व्रत के साथ सोवमती अमावस्या और शनि जयंती भी पड़ रही है। इसी के साथ पंडित जी बताते हैं कि, 3 जून को सर्वाथसिद्धि योग रहेगा। जिसमें सभी सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए बरगद की पूजा करेंगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही शुभ और मंगल योग है। जो निश्चित वार और सुभ ग्रह नक्षत्र के संयोग से बनता है। कहा जाता है की इस योग में किया गया हर कार्य सिद्ध होता है और यदि इस समय व्रत, पूजा की जाए तो व्यक्ति की सभी इच्छाएं जल्द पूरी होती है। इस योग में पूजा-पाठ और दान पुण्य करने का विशेष महत्व माना जाता है और आपको विशेष फल की प्राप्त होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता
कथाओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी। वट के वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था। ताकि जंगली जानवर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकें। इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है। इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगा कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी 11, 21, 108 बार परिक्रमा करते हैं। इसके साथ ही 11, 21 और 108 की संख्या में ही कुछ सामान अर्पित किया जाता है। पंडित जी बताते हैं कि, वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है। इसलिए वट वृभ की पूजा बहुत ही कल्याणकारी होती है।
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