जीवन मंत्र डेस्क। 18 पुराणों में से एक ब्रह्मवैवर्त पुराण वैष्णव पुराण है। इस पुराण में भगवान श्रीहरि और श्रीकृष्ण की महिमा बताई गई है। यह चार खंडों में विभाजित है। पहला खंड ब्रह्म खंड है, दूसरा प्रकृति खंड है, तीसरा गणपति खंड है और चौथा श्रीकृष्ण जन्म खंड है। इस पुराण में श्रेष्ठ जीवन के लिए कई सूत्र बताए गए हैं। जानिए ब्रह्मवैवर्तपुराण में बताए गए कुछ ऐसे काम, जिनका ध्यान दैनिक जीवन में रखना चाहिये
पूजा में ये चीजें जमीन पर न रखना चाहिए
दीपक, शिवलिंग, शालिग्राम, मणि, देवी-देवताओं की मूर्तियां, यज्ञोपवीत (जनेऊ), शंख, इन चीजों को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। एक कपड़ा बिछाएं या किसी ऊंचे स्थान पर इन चीजों को रखना श्रेष्ठ रहता है।
सुबह उठते ही ध्यान रखें ये बातें
सुबह उठते ही इष्टदेव का ध्यान करते हुए दोनों हथेलियों को देखना चाहिए। इसके बाद अधिक समय तक बिना नहाए नहीं रहना चाहिए। रात में पहने हुए कपड़ों को शीघ्र त्याग देना चाहिए।
इनका अनादर नहीं करना चाहिए
हमें किसी भी परिस्थिति में पिता, माता, पुत्र, पुत्री, पतिव्रता पत्नी, श्रेष्ठ पति, गुरु, अनाथ स्त्री, बहन, भाई, देवी-देवता और ज्ञानी लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए। इनका अनादर करने पर यदि व्यक्ति धनकुबेर भी हो तो उसका खजाना खाली हो जाता है।
तय तिथि पर पूरा करना चाहिए दान का संकल्प
यदि हमने किसी को दान देने का संकल्प किया है तो इस संकल्प को तय तिथि पर किसी भी परिस्थिति में पूरा करना चाहिए। दान देने में अगर एक दिन का विलंब होता है तो दुगुना (दोगुणा) दान देना चाहिए। यदि एक माह का विलंब होता है तो दान सौगुना हो जाता है। दो माह बितने पर दान की राशि सहस्त्रगुनी यानी हजार गुना हो जाती है। अत: दान के लिए जब भी संकल्प करें तो तय तिथि पर दान कर देना चाहिए। अकारण दान देने में विलंब नहीं करना चाहिए।