हेल्थ डेस्क।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में लगभग 6.2 करोड़ लोगों को मधुमेह की समस्या है। यह संख्या वर्ष 2025 तक बढ़कर 7 करोड़ होने का अनुमान है। हालांकि, (15-49 वर्ष) आयु वर्ग के अधिकतर लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि उन्हें डायबिटीज की बीमारी है और ऐसी स्थिति ज्यादा खतरनाक है। जीवनशैली की बीमारी कही जाने वाली डायबिटीज, दुनिया में दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश के लिए एक विशाल सार्वजनिक स्वास्थ्य बाधा है। मधुमेह से गुर्दे की क्षति और हृदय रोग सहित जानलेवा जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है।
इस बारे में बात करते हुए, काशी हिन्दू विश्व विश्व विद्यलय के प्रोफेसर मधुकर राय ने कहा,आजकल के भाग दौड़ की जीवन मे फ़ास्ट फूड के सेवन तथा “प्रोसेस्ड एवं जंक फूड से भरपूर उच्च कैलोरी वाला आहार, मोटापा और निष्क्रिय जीवन, देश में मधुमेह पीड़ित युवाओं की बढ़ती संख्या के कुछ प्रमुख कारण हैं। समय पर ढंग से जांच न कर पाना और डॉक्टर के निर्देषों का पालन न करना उनके लिए और भी जटिल हो जाता है, जिससे उन्हें अपेक्षाकृत कम उम्र में अन्य संबंधित परेशानियों में फंसने का खतरा हो जाता है। एक धारणा यह भी है कि क्योंकि टाइप 2 मधुमेह वाले युवाओं को इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए यह उतना भयावह नहीं है जितना कि लगता है। हालांकि, यह एक गलत धारणा है। इस स्थिति में तत्काल उपचार और प्रबंधन की आवश्यकता होती है।