सातवें चरण का रण
हेमंत तिवारी
वाराणसी ।:
उत्तर प्रदेश में सातवें व अंतिम चरण का चक्रव्यूह भेदने की भाजपा हरसंभव कोशिश कर रही है। प्रदेश में अंतिम चरण के मतदान में प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर की 13 सीटों पर आज मतदान हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बीते लोकसभा व विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा उर्वर रहे इस चरण में इस बार खासी चुनौतियां हैं।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के रण में सबसे मुश्किल सातवें और अंतिम चरण में भाजपा का मुकाबला सपा-बसपा गठबंधन के हाथी (दलित),लाठी (अहीर) और 786 (मुसलमान) की ताकत के साथ छोटी जातियों के मेल से है। सातवें चरण की इन तेरह सीटों पर यह जातियों का सामंजस्य खासी मुसीबत पैदा कर रहा है। भाजपा इसी वजह से कई सीटों पर सांसत में है। आखिरी चरण में वाराणसी को छोड़ दें तो बाकी सभी सीटों पर भाजपा कठिन लड़ाई में फंसी है। वाराणसी के आसपास की चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर सोनभद्र, घोसी में हर जगह गठबंधन प्रत्याशी कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं तो गोरखपुर मंडल की सीटों पर भी हाल कुछ अलग नही है। दरअसल इन सभी सीटों पर कमंडल से ज्यादा मंडल ही भारी है और प्रत्याशियों के चयन में गठबंधन ने चतुराई से काम लेते हुए अपने आधार वोटों के साथ अन्य पिछड़ी जातियों का असरदार कांबीनेशन तैयार किया है। भाजपा इस चरण में राष्ट्रवाद भूल जातिवाद को हवा देने में लगी है औक वाराणसी सीट पर मोदी की मौजूदगी को भुना रही है। पूर्वांचल का विकास, काम, तमाम योजनाएं पीछे छोड़ भाजपा आखिरी चरण में जातियों का पेंच ही सुलझाने में लगी है।
प्रधानमंत्री की सीट से सटी हुयी मिर्जापुर में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल की अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं और उनके सामने गठबंधन के रामचरित्र निषाद हैं। केवट, अहीर, दलित और मुसलमान (जो इस सीट पर काफी कम हैं) के साथ के चलते गठबंधन की कड़ी चुनौती है तो कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी सजातीय वोटों के साथ कोल वोटों पर दावेदारी कर लड़ाई को मुश्किल बना रहे हैं। मिर्जापुर जाने पर पता चलता है कि ललितेश को भाजपा के आधार वोट ब्राह्मणों का बड़ा हिस्सा समर्थन कर रहा है जो अनुप्रिया के लिए मुसीबत का सबब है। वहीं चंदौली सीट पर नितांत अलोकप्रिय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे तो बस मोदी नाम के सहारे ही दिखते हैं। यहां गठबंधन कागज में तो मजबूत है पर जमीन पर वहां भी बगावत, भितरघात काफी नजर आ रहा है। सपा के नेता ओमप्रकाश सिंह का यहां ठाकुर मतों पर खासा प्रभाव है पर खुद टिकट न पाने के चलते वो निष्क्रिय से दिखते हैं। गठबंधन प्रत्याशी संजय चौहान लोनिया जाति से हैं और सजातीय मतों के साथ ही गठबंधन के आधार वोटों के भरोसे हैं। यहां कांग्रेस की सहयोगी पार्टी जनअधिकार दल से शिवकन्या कुशवाहा भाजपा के समर्थक कोईरी जाति के मतों में सेंधमारी कर रही हैं। गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के सामने गठबंधन के अफजाल अंसारी की बड़ी चुनौती है। यहां कभी भाजपा के साथी रहे राजभर बिरादरी के नेता ओमप्रकाश राजभर अब बागी हो अपनी जाति के वोटों में सेंध लगा रहे हैं और अफजाल का साथ दे रहे हैं। घोसी सीट पर भी हाल जुदा नही हैं।
दरअसल सातवें चरण में महराजगंज, गोरखपुर,कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर,बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर व राबर्ट्सगंज में 19 मई को मतदान होगा। इन 13सीटों में पिछली बार 12 सीटों पर भाजपा व एक पर उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने चुनाव जीता था। बीते लोकसभा चुनावों में इस चरण में सपा, बसपा व कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था। हालांकि बाद में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफा देने से खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट सपा ने भाजपा से छीन ली थी। इसी जीत ने प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की नींव डाली जो इस चुनाव में बड़ी चुनौती बन कर उभरा है।
प्रचंड बहुमत के साथ आयी भाजपा सरकार के प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने इलाके में भाजपा केवल और केवल मोदी नाम के सहारे ही दिखती है। यहां भाजपा के प्रत्याशी भी अपने प्रचार अभियान में योगी का नाम नही लेते दिखते हैं। योगी खुद अपनी गोरखपुर सीट पर इज्जत बचाने की लड़ाई करते दिख रहे हैं तो आस पड़ोस की सीटों का हाल जुदा नही हैं। गोरखपुर में भाजपा संगठन में ही खींचतान है तो केवट मतों में सजातीय सांसद प्रवीण निषाद को हटा देने की नाराजगी है।
आखिरी चरण में जिन प्रतिष्ठित लोगों की किस्मत का फैसला होना है उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों मनोज सिन्हा और अनुप्रिया पटेल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे शामिल हैं। इनमें मनोज सिन्हा वाराणसी से सटी गाजीपुर, महेंद्रनाथ पांडे चंदौली तो अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आऱपीएन सिंह कुशीनगर सीट से लड़ रहे हैं। बलिया और बांसगांव से कांग्रेस या उसके सहयोगी दलों का कोई प्रत्याशी नही है। इनके अलावागोरखपुर में भोजपुरी स्टार रवि किशन, देवरिया में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी और बलिया से भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त चुनाव मैदान में हैं।
रमापति के बेटे शरद त्रिपाठी 2014 में संत कबीरनगर से सांसद चुने गए थे। एक विधायक को जूते मारने के बाद उनका टिकट काट दिया। संत कबीरनगर से भाजपा ने गोरखपुर उपचुनाव में सपा के सांसद चुने गए प्रवीण निषाद को उम्मीदवार बनाया था। है। कुशीनगर में पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह मैदान में हैं।
आखिरी चरण में ज्यादातर जगहों पर मुश्किल में फंसी भाजपा ने प्रचार में अपनी सारी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने हर दिन इन सीटों का दौरा किया है तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हर सीट पर सभा या रैली की है। वाराणसी जैसी वीआईपी सीट पर प्रचार करने आए केंद्रीय मंत्रियों सुषमा स्वराज, पीयूष गोयल, जेपी नड्डा वगैरा को आसपास की सीटों पर भी भेजा गया है। प्रदेश सरकार के करीब करीब हर मंत्री को किसी न किसी सीट पर लगाया गया है।
उधर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने सातवें चरण की सभी सीटों पर जमकर प्रचार किया है। यहां तक की वाराणसी में भी प्रियंका गांधी ने सफल रोडशो किया और मिर्जापुर में भी।
वाराणसी में रुक कर चुनाव प्रचार में जुटे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन जहां कुछ जातियों पर निर्भर है वहीं भाजपा को हर तबके का वोट मिल रहा है। उनका कहना है कि सघन प्रचार के चलते भाजपा एक बार फिर से सातवें चरण की सीटों पर इतिहास बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की गठबंधन सहयोगी अपना दल भी दोनो सीटें जीतेगी।