दिल्ली।भारत में लोक सभा चुनावों के छह चरण संपन्न हो चुके हैं और सातवें चरण का मतदान 19 मई को होगा।
चुनावों में वैसे तो पहले भी उम्मीदवारों के क्रिमनल रिकार्ड पर बहसें होती रही हैं क्योंकि सांसदों और विधायकों की एक बड़ी संख्या एसी रहती है जिन पर आपराधिक मामले होते हैं और कुछ पर तो गंभीर आपराधिक मामले भी होते हैं।
मगर भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा उम्मीदवार मैदान में उतारा है जिसने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। केरल राज्य में भाजपा के उम्मीदवार के. सुरेन्दरन पर 240 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार वह भाजपा के महासचिवों में भी शामिल हैं।
नेशनल इलेक्शन वाच एंड एसोसिएशन फ़ार डेमोक्रेसी रिफ़ार्म के अनुसार के सुरेन्द्र पर 129 मुक़द्दमे तो अति गंभीर अपराधों के हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी ने केरल में डीन कीरकावस्की को मैदान में उतारा है जिन पर 204 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इस संदर्भ में बताया गया है कि वाराणसी से चुनाव में हिस्सा लेने वाले आज़ाद उम्मीदवार अतीक़ अहमद पर 80 मामले दर्ज हैं जिनमें 59 मामले गंभीर अपराधों के हैं।
भाजपा के एक और उम्मीदवार हैं बापूराव उन पर 55 मामले दर्ज हैं जिनमें 52 गंभीर आपराधिक मामले हैं।
मुक़द्दमों की संख्या की दृष्टि से पांचवें नंबर पर कांग्रेस के अनुमाला रिवंथ रेड्डी हैं जिन पर 42 मामले दर्ज हैं जिनमें 19 गंभीर आपराधिक मामले हैं।
भारत में यह मांग कभी कभी उठती रही है कि आपराधिक रिकार्ड वालों को चुनाव में हिस्सा नहीं लेने देना चाहिए लेकिन अब तक इस पर रोक नहीं लग सकी है। एक विषय यह ही है कि राजनीति में उतरने वालों पर राजनैतिक दुर्भावना के तहत भी कभी कभी मुक़द्दमे दर्ज हो जाते हैं। मगर अपनी जगह यह बात महत्वपूर्ण है कि आपराधिक रिकार्ड वाले लोगों का सदनों में पहुंचना ठीक नहीं है।