चौका नदी मामले में दाखिल हुई ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका

पारिस्थितिकीय संतुलन से जुड़ा है चौका नदी का मामला: पीएन कलकी

पर्यावरण सुरक्षा का सबसे बड़ा प्रशासनिक भ्रष्टाचार है चौका नदी मुहाने पर कब्जा: विजय कुमार पाण्डेय

सीतापुर।जनपद सीतापुर की चौका नदी पर प्रशासन की मिलीभगत से कब्जा जमाए लोगों को वहां से हटाकर उसके मुहाने को खोलने को लेकर जनपद के अंतिम-आदमी के साथ मिलकर वर्षों से संघर्ष कर रहे सबल अधिवक्ता संघर्ष-मंच के मुख्य-कार्यकर्ता विजय कुमार पाण्डेय एवं मताधिकारी संघ के मुख्य-कार्यकर्ता पी.एन.कल्की ने उच्च-न्यायालय के बाद मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने दाखिल करते हुए मांग की कि पारिस्थितिकी संतुलन के लिए नदी के मुहाने को खुलवाया जाय और सचिव, उ.प्र. सिंचाई, जिलाधिकारी, सीतापुर, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं अन्य लोगों पर व्यक्तिगतरूप से आर्थिक जुर्माना किया जाय l

प्रकरण यह था कि सीतापुर की जल और जीवन दायिनी नदी चौका के मुहाने पर प्रशासन की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने कब्जा जमा लिया जिससे उसका प्रवाह बंद हो गया जिसके लिए मताधिकारी संघ के मुख्य-कार्यकर्ता पीएन कलकी ने ग्रामीणों की मदद से काफी लम्बा संघर्ष किया लेकिन प्रशासन ने उन्ही से नदी के मुहाने को बताने का आग्रह किया और मुहाना खोलने के बारे में चुप्पी साधे रहे l

पीएन कलकी ने पूंछे जाने पर बताया कि वर्तमान युग पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संतुलन के प्रति काफी संवेदनशील है और भारत संयुक्त-राष्ट्र पर्यावरण संस्थान का सक्रिय सदस्य है और यह मानवता से संबंधित विषय होने के कारण भारत जैसे विशाल देश के लिए सर्वाधिक संवेदनशील है लेकिन सीतापुर प्रशासन के लिए यह विषय मायने नहीं रखता इसलिए वह इस नदी को पुनर्जीवित नहीं करना चाहता उन्होंने कहा कि सबल अधिवक्ता संघर्ष-मंच के मुख्य-कार्यकर्ता विजय कुमार पाण्डेय ने इसके लिए उच्च-न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर की लेकिन प्रारम्भिक हलचल के अलावा कोई निष्कर्ष नहीं निकलाl

सबल अधिवक्ता संघर्ष-मंच के मुख्य-कार्यकर्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि मामले को ग्रीन ट्रिब्यूनल लखनऊ के समक्ष दायर किया गया है क्योंकि यह प्रकरण सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्र की पारिस्थितकीय स्थितियों को प्रभावित करने वाला ही नहीं बल्कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 की धारा 2(क), संविधान के अनु.21, 39 (b), 48A 51A(g), 252 और 263 जल अधिनियम की धारा 17(1)(a) के विपरीत है जिससे बेहता, लहरपुर, रेउसा, बिसवां, महमूदाबाद और रामपुरमथुरा ब्लाक बुरी तरह प्रभावित है जिसके कारण यहाँ प्रतिवर्ष, बाढ़, हैजा, मलेरिया, महामारी खसरा और डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियों का प्रकोप होता है और अन्तुलित पारिस्थितिकीय परिस्थितियों का प्रभाव जीव-जंतुओं और पौधों पर पड़ता है, विजय पाण्डेय ने कहा कि उम्मीद है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल इस विषय का अवश्य संज्ञान लेगा और सकारात्मक परिणाम आएगा l

(विजय कुमार पाण्डेय) मुख्य-कार्यकर्ता सबल अधिवक्ता संघर्ष मंच

Translate »