★ उत्कर्ष सिन्हा
लखनऊ।90 के दशक में अपराध की दुनिया में श्रीप्रकाश शुक्ल का नाम इस कदर चमका कि यूपी पुलिस को सिर्फ इस बदमाश गैंग से निपटने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स बनानी पड़ी थी। तब श्री प्रकाश के गैंग में एक नाम बहुत तेजी से उभरा था , राजन तिवारी का। श्रीप्रकाश गैंग के करीब करीब सभी बदमाश एक एक कर के पुलिस मुठभेड़ में मारे गए लेकिन राजन तिवारी न सिर्फ खुद को बचाने में कामयाब रहे बल्कि सियासत का चोला ओढ़ कर बिहार विधान सभा तक का भी सफर आराम से पूरा कर लिया।
यही राजन तिवारी अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। यूपी के कैबिनेट मंत्री गोपाल जी टंडन ने उन्हें बाकायदा भाजपा में शमिल करा लिया। याद करने वाली बात ये है की गोपाल टंडन के पिता लाल जी टंडन उसी बिहार के के राज्यपाल हैं , जिस बिहार को राजन तिवारी ने अपने अपराध की दुनिया का केंद्र बना रखा है। हालांकि इस खबर को भाजपा ने बहुत प्रचारित नहीं किया। लेकिन चौबीस घंटे के बाद ही सही भाजपा के इस कदम पर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं।
बाहुबली अपराधियों का राजनीति में आना कोई नहीं बात नहीं है , लेकिन कभी दूसरे सियासी दलों से अलग चाल चेहरा और चरित्र वाली पार्टी होने का दवा करने वाली भाजपा में अचानक अपराधियों का बोलबाला सा दिखाई देने लगा है। यूपी भाजपा के विधायक कुलदीप सेंगर को रेप और हत्या के आरोप के बाद जेल जाना पड़ा और हमीरपुर के विधायक अशोक चंदेल को भी हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा हो गयी है। ऐसी में राजन तिवारी की एंट्री ने भाजपा की छवि पर प्रभाव तो डाला ही है।
राजन तिवारी का इतिहास
राजन तिवारी का नाम पहली बार चर्चा में तब आया था जब गोरखपुर के बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही पर श्रीप्रकाश ने जानलेवा हमला किया था। 4 अक्टूबर 1996 को शाही जब अपने कार्यालय से घर जा रहे थे तब कैंट इलाके में उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी. इस हमले में शाही की जांघ में गोली भी लगी थी। गनर मारा गया लेकिन शाही बच गए थे। इस हमले में श्री प्रकश के साथ राजन तिवारी को भी अभियुक्त बनाया गया।
इसके बाद तो राजन और श्रीप्रकाश का नाम कई बड़ी वारदातों में सामने आया। यूपी में ऐके 47 राइफल और 9 एम् एम् पिस्टल का चलन भी इसी गैंग की देन थी। लेकिन राजन तिवारी पर सबसे बड़ा आरोप तब लगा जब बिहार के बाहुबली नेता बृज बिहारी प्रसाद पर पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जानलेवा हमला हुआ। इस हत्याकांड में जमकर गोलियां चली। बृज बिहारी पर हमला बिहार के ही दूसरे बाहुबली भुटकन शुक्ल के इशारे पर हुआ था। इस हत्याकांड ने बिहार में सनसनी मचा दी थी।
बृज बिहारी की हत्या में नाम आया श्रीप्रकाश शुक्ल, राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, सूरजभान, मंटू तिवारी का। दरअसल बिहार के माफिया सूरजभान ने ही श्रीप्रकाश और राजन तिवारी की मुलाकात करवाई थे। भुटकन तब अपने भाई की हत्या का बदला बृज बिहारी से लेना चाहता था, मगर बृज बिहारी के खौफ की वजह से उसे बिहार में शूटर नहीं मिल रहे थे। ऐसे में श्रीप्रकाश ने बृज बिहारी की सुपारी ली और इस घटना को अंजाम दिया। गोरखपुर में रेलवे के ठेके पर कब्जे को ले कर हुए विवेक सिंह हत्याकांड में ही श्रीप्रकाश और सूरजभान एक हुए थे।
इस केस में सीबीआई कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा तो हुयी मगर 2014 में बिहार हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसी साल वीरेंद्र शाही की हत्या के आरोप में भी राजन बरी हो गए ।
बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में जेल जाने से पहले ही राजन ने राजनीति का रास्ता चुन लिया। उस वक्त बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का बोलबाला बढ़ा हुआ था। बिहार में राजन दो बार विधायक भी रहे , मगर बीते कुछ समय से वो यूपी में अपना सियासी रास्ता बनाने की कोशिश में लग गए।
■ यूपी की सियासत में उतरेंगे
भाजपा की सदस्यता लेने वाले राजन तिवारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव के रहने वाले हैं। उनका बचपन इसी गांव में बीता मगर पढ़ाई गोरखपुर शहर में हुई। बताया जा रहा है कि राजन तिवारी यूपी विधान सभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। देवरिया जिले की किसी ब्राह्मण बहुल सीट से वे मैदान में उतर सकते हैं।
पूर्वी यूपी में किसी मजबूत ब्राह्मण नेता की तलाश में जुटी भाजपा ने फिलहाल राजन तिवारी पर अपनी उम्मीदे टिका दी हैं। पार्टी ज्वाइन करने के बाद वे लोकसभा चुनावो की कैम्पेनिंग भी करेंगे जहाँ गोरखपुर और देवरिया सीटों पर भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे हैं।
लेकिन इन सबसे के साथ एक सवाल भी है। योगी आदित्यनाथ और राजन तिवारी का आधार इलाका एक ही है, ऐसे में इन दो दबंग नेताओं के बीच तालमेल पार्टी कैसे बना पाएगी ? क्या राजन तिवारी के भाजपा में शामिल होने में योगी की सहमति है ? गोरखपुर में तो फिलहाल यही सवाल सबसे बड़ा हो गया है।