डाइवर 92 फीट ऊंची चोटी से छलांग लगाते हैं, टेक्निक गलत तो रीढ़ टूटने तक का खतरा

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खेल डेस्क. फिलिपींस के पालावान आईलैंड में क्लिफ डाइविंग वर्ल्ड सीरीज का इस साल का पहला इवेंट पूरा हुआ। इसमें करीब 10 देशों के डाइवर हिस्सा ले रहे हैं। डाइवर को करीब 80 से 92 फीट ऊंचाई वाली चट्‌टानों से पानी में छलांग लगानी होती है। कोई रस्सी नहीं, कोई सपोर्ट नहीं। इस ऊंचाई से जब डाइवर पानी से टकराता है तो उसकी रफ्तार 90 किमी प्रतिघंटा या ज्यादा रहती है। जरा सी भी चूक हो, तो सबसे बड़ा खतरा लोअर बैक और स्पाइन को होता है। रीढ़ टूटने का खतरा रहता है।

  1. रेडबुल 2009 से हर साल डाइविंग वर्ल्ड सीरीज का आयोजन करा रहा है। 10 सीजन हो चुके हैं। ये 11वां सीजन है। 10 में से 7 बार ब्रिटेन के डाइवर गैरी हंट ने ही पुरुष कैटेगरी में जीत हासिल की है। इस इवेंट में भी गैरी ने ही जीत हासिल की। वहीं महिला कैटेगरी 2014 में शामिल की गई थी। इस बार महिलाओं में ऑस्ट्रेलिया की रिहाना इफलैंड जीतीं। वे 3 बार (2016, 17, 18) की डिफेंडिंग चैंपियन हैं।

  2. फिलिपींस में हुआ ये इवेंट वर्ल्ड सीरीज के 7 इवेंट में से पहला था। इसी तरह के 6 इवेंट और होंगे, फिर सातों इवेंट के अंक मिलाकर वर्ल्ड चैंपियन चुना जाएगा। ये 6 इवेंट आयरलैंड, इटली, पुर्तगाल, लेबेनोन, बोस्निया एंड हर्जेगोविना और स्पेन में होंगे। हर साल इसी तरह 7 देशों में इवेंट होते हैं। अगला इवेंट 12 मई को आयरलैंड में होगा।

    • चट्‌टान के ऊपर एक प्लेटफॉर्म सेट किया जाता है, जिससे 4 बार डाइव लगानी होती है। वो भी अलग-अलग पोजीशन से। कुल 9 पोजीशन होती हैं, जिनमें से कोई एक चुनी जा सकती है।
    • 9 पोजीशन- फ्रंट, बैक, रिवर्स, इनवर्ड, फ्रंट ट्विस्ट, बैक ट्विस्ट, रिवर्स ट्विस्ट, इनवर्ड ट्विस्ट और आर्मस्टैंड डाइव।
    • हर डाइव के लिए रेफरी 0 से 10 तक के अंक देता है। समय, स्टार्ट पोजीशन, एक्यूरेसी और डाइव के दौरान ट्विस्ट्स के आधार पर ही अंक मिलते हैं।
    • हर डाइव से पहले सभी डाइवर्स का फुल बॉडी चेकअप कराया जाता है। नीचे पानी में भी किसी इमरजेंसी के लिए मेडिकल बोट्स तैनात रहती हैं।
  3. क्लिफ जंपिंग खतरनाक भी रहती है। 1987 में कनाडा के ओलिवर फावरे ने 177 फीट से क्लिफ डाइविंग की थी, जो उस वक्त का रिकॉर्ड था। उन्होंने जंप तो पूरी की, लेकिन रीढ़ की हड्‌डी टूट गई थी। ऐसे ही हादसे 1985 और 1997 में भी हो चुके हैं। इसीलिए वर्ल्ड सीरीज में छलांग की ऊंचाई इससे कम रहती है।

    • डाइवर पानी में कैसा गिरेगा, ये उसकी स्टार्ट पोजीशन और डाइव के दौरान वेट मैनेजमेंट पर निर्भर करता है। पानी में हाथ के बल नहीं गिरना चाहिए। वरना हाथ टूटना तय रहता है।
    • पानी में पैर के बल गिरना चाहिए। बॉडी को जितना हो सके, उतना सीधा रखना होता है। अच्छे डाइवर हवा में ही बॉडी को स्ट्रेट कर लेते हैं। या फिर ट्विस्ट लेते हुए भी गिर सकते हैं। ये थोड़ा परिपक्व डाइवर के लिए ही बेहतर रहता है।
    • नीचे नहीं, सामने देखना बेहतर होता है। दिल का स्वस्थ्य होना, ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होना और मसल्स-हडि्डयों का मजबूत होना जरूरी होता है। डाइविंग से पहले इससे जुड़े टेस्ट होते हैं।
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      जब डाइवर चोटी से छलांग लगाता है, तो उसकी रफ्तार 90 किमी प्रतिघंटा या ज्यादा रहती है।

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