खतरनाक कैंसर का शिकार हुईं सोनाली बेंद्रे बोलीं, यह बीमारी जितनी खतरनाक नहीं उससे कहीं ज्यादा पीड़ादायक है इसका ट्रीटमेंट, फिर सोनाली ने खुद ही बताई वो बात जिससे इस बीमारी के होने पर कम पैसा और कम पीड़ा होती है

[ad_1]


हेल्थ डेस्क। पिछले साल सोनाली बेंद्रे हाई ग्रेड के कैंसर से पीड़ित हुईं थी। उन्होंने न्यूयॉर्क में इसका पूरा ट्रीटमेंट लिया। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान भी वो लगातार पॉजिटिव थॉट्स और फोटोज शेयर करती रहीं। जिससे हजारों-लाखों लोगों को प्रेरणा मिली। पिछले साल दिसंबर में वे मुंबई वापस लौटी हैं।

ट्रीटमेंट ज्यादा दर्द देने वाला है
अब कंसोर्टियम ऑफ एक्रिडिटेड हेल्थ ओर्गनाइजेशन (CAHO) के एक प्रोग्राम में उन्होंने अपना दर्द बयां किया हैं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी डराने वाली है और इसका ट्रीटमेंट और भी ज्यादा दर्द देने वाला है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में ही इसका पकड़ में आना काफी जरूरी है। वे कहती हैं कि यह बीमारी उतनी खतरनाक नहीं, जितना इसका ट्रीटमेंट पीड़ा देने वाला है। यदि जल्दी पकड़ में आ जाता है तो ट्रीटमेंट में कम खर्च करना पड़ता है और दर्द भी कम होता है।

आखिर कौन सा कैंसर हुआ था सोनाली को
– सोनाली बेंद्रे को हाई ग्रेड मेटास्टैटिक कैंसर हुआ है। बॉडी में जहां कैंसर बनता है, उसे प्राइमरी स्पॉट कहा जाता है। जब प्राइमरी स्पॉट से कैंसर सेल्स टूटकर खून या लिम्फ सिस्टम के जरिए बॉडी के दूसरे हिस्सों में फैलती हैं तो इसे मेटास्टैटिक कैंसर कहा जाता है।

– इस तरह के कैंसर सेल्स बॉडी के अन्य हिस्सों तक अपनी पहुंच बना लेते हैं, जिससे वहां ट्यूमर बनने लगता है। यानी इसमें कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है। इस प्रॉसेस को मेटास्टेटिस कहा जाता है। यह आमतौर पर कैंसर के चौथी स्टेज पर पहुंचने पर होता है। प्राइमरी स्पॉट से धीरे-धीरे यह डेवलप होते चला जाता है। प्राइमरी स्पॉट को तोड़ देती हैं इस कैंसर की सेल्स

– मेटास्टैटिक कैंसर की सेल्स इतनी ज्यादा स्ट्रॉन्ग होती हैं कि यह प्राइमरी स्पॉट को तोड़कर बॉडी के दूसरे पार्ट में फैलने लगती हैं। यह अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर ट्यूमर में बदल जाती हैं। कोई मेटास्टैटिक कैंसर कितना खतरनाक है, यह इस बात पर डिपेंड करता है कि मेटास्टैटिक किस टाइप का है? कितना एग्रेसिव
और स्ट्रॉन्ग है? और ट्रीटमेंट शुरू होने के कितने समय पहले से बॉडी में है?

– आमतौर पर मेटास्टैटिक कैंसर ब्रेन, हड्डी, लिम्फ नोड्स, लिवर और लंग्स में होता है। कुछ रेयर मेटास्टैटिक मसल्स, स्किन और शरीर के दूसरे ऑर्गन में भी फैल जाते हैं।मेटास्टैटिक कैंसर और प्राइमरी कैंसर का नेचर एक जैसा ही होता है।

क्या होते हैं इसके संकेत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रेस्ट, स्किन और बोन कैंसर को छोड़ दिया जाए तो अंदरूनी अंगों के केस में संकेत स्पष्ट नहीं होते। मेटास्टैटिक कैंसर के मामले में तो खासतौर पर देरी से पता चल पाता है। इसके बावजूद 7 ऐसे वॉर्निंग साइन हैं, जिनके होने पर संबंधित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए और जांच करवाना चाहिए।

– बहुत तेजी से वजन कम होना।
– लगातार कफ बनना।
– ऐनस, यूरिन या मुंह से खून आना।
– किसी भी हिस्से में बिना कारण सूजन होना।
– घाव का जल्दी न भरना।
– जलन और सूजन का लगातार बढ़ना।

क्या कैंसर लौट सकता है?
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ आलोक मोदी (बॉम्बे हॉस्पिटल, इंदौर)
ने बताया कि किसी भी तरह के कैंसर के ठीक होने के बाद अगले 5 सालों तक उसके लौटने के ज्यादा चांस होते हैं लेकिन यदि 5 साल अच्छे से निकल गए तो फिर इस बीमारी के होने के चांस न के बराबर हो जाते हैं। कैंसर दोबारा भी किसी की बॉडी में बनता है तो उसे पहले जैसे ही संकेत मिलना शुरू हो जाते हैं। कैंसर न लौटे इसका अभी कोई इलाज नहीं है। न ही किन्हीं विशेष सावधानियों से इसे बनने से रोका जा सकता है। दोबारा होने पर भी कैंसर कई बार पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। ऐसे में हर एक पल बॉडी में होने वाले बदलावों को लेकर सतर्क रहना जरूरी हो जाता है।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


Sonali Bendre says cancer treatment is more painful than disease

[ad_2]
Source link

Translate »