पिछले सप्ताह दो दिग्गज विदेशी क्रिकेटरों ने भारत में भाषण दिया। दोनों ने ही टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जीत का दावेदार बताया। जगमोहन डालमिया मेमोरियल लेक्चर में बोलने आए दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने कहा कि अगर भारत ने इस साल अपने विदेशी दौरों से सबक लिया होगा तो वह ऑस्ट्रेलिया को जोरदार दबाव में रख सकता है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज जेफ थॉमसन ने कहा कि भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आसानी से सीरीज जीतेगी।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में सीरीज नहीं जीत पाया है भारत
भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए इन दिग्गजों की बातें मधुर संगीत की तरह होनी चाहिए। इससे विराट कोहली एंड कंपनी का उत्साह भी बढ़ना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 60 साल के द्विपक्षीय मुकाबलों के इतिहास में भारतीय टीम कभी उसके घर में टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाई है। ऐसे में आखिरी क्या बात है जिसकी वजह से स्मिथ और थॉमसन इस बार टीम इंडिया को जीत का दावेदार बता रहे हैं।
पिछले नौ महीने में ऑस्ट्रेलिया को खली स्मिथ-वॉर्नर की कमी
मेरे विचार से इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की अनुपस्थिति है। ये खिलाड़ी बॉल टैम्परिंग मामले में प्रतिबंध झेल रहे हैं। दूसरा कारण भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण की गुणवत्ता है। स्मिथ और वॉर्नर पिछले 5-6 साल में ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल बल्लेबाजों में शामिल रहे हैं। उनका न खेलना टीम के लिए बड़ा झटका है। पिछले 8-9 महीनों में ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रदर्शन पर इसका काफी असर पड़ा है। उनकी अनुपस्थिति में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी काफी खोखली और ढुलमुल नजर आई। कई युवा और अनुभवी खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन कोई भी प्रवाव छोड़ने में सफल नहीं रहा। हाल ही में यह भी मांग उठी कि टीम के गिरते प्रदर्शन को देखते हुए स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर लगे प्रतिबंध हटाए जाएं और उन्हें भारत के खिलाफ खेलने दिया जाए। हालांकि, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इससे संदेश जाता कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया चीटिंग को लेकर गंभीर नहीं है।
भारत का मौजूदा तेज गेंदबाजी आक्रमण सर्वश्रेष्ठ
हालांकि, स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की गैरमौजूदगी से दूसरे तथ्य का महत्व कम नहीं हो जाता है। वह तथ्य भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण है। अगर स्मिथ और वॉर्नर खेल भी रहे होते तो मौजूदा तेज गेंदबाजी आक्रमण के बल पर भारतीय टीम अगर फेवरिट नहीं होती तो भी बराबरी की दावेदार जरूर होती। आमतौर पर भारतीय टीम विदेश में कमजोर गेंदबाजी आक्रमण की वजह से संघर्ष करती रही है। भारत की उम्मीदें स्पिनरों पर टिकी होती थी जिनके लिए विदेश में कंडीशन आम तौर पर मुश्किल होते थे। यह पिछले कुछ समय में काफी बदला है।
दक्षिण अफ्रीका जैसा प्रदर्शन दोहरा सकते हैं भारतीय तेज गेंदबाज
जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव और मोहम्मद शमी की मौजूदगी में भारत के पास संभवत: मौजूदा समय में सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण है। कम से कम इसमें इतना फायरपावर तो है ही जिससे यह सभी परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ बैटिंग लाइन अप पर लगाम लगा सके। इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय गेंदबाजों ने प्रतिद्वंद्वी टीम के सभी 60 विकेट लिए थे। इनमें से ज्यादातर विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए थे। इंग्लैंड के खिलाफ भी भारतीय तेज गेंदबाजों का प्रदर्शन कम प्रभावशाली नहीं था। ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर तेजी और उछाल की बदौलत भारतीय तेज गेंदबाज दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में किए प्रदर्शन को जरूर दोहरा सकते हैं।
भारत ने छह में से तीन टेस्ट बल्लेबाजों के कारण गंवाए
इस सबके बावजूद एक बहुत महत्वपूर्ण शर्त खड़ी हो जाती है। जब तक भारतीय बल्लेबाजी अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं करती है और पर्याप्त रन नहीं बनाती गेंदबाजों का शानदार प्रदर्शन भी टीम के काम नहीं आएगा। भारत ने इस साल विदेश में जो आठ टेस्ट खेले हैं। इनमें से उसे छह में हार का सामना करना पड़ा है। इनमें से तीन टेस्ट में लगभग जीत की स्थिति से गंवाए गए। ऐसा गेंदबाजों के कारण नहीं बल्लेबाजों के फेल होने के कारण हुआ।
विराट को छोड़ कोई भी नहीं चल पाया
जो बल्लेबाजी भारत की शक्ति मानी जा रही थी वही कमजोरी साबित हुई। विराट कोहली के शानदार प्रदर्शन को छोड़ दें तो अन्य कोई बल्लेबाज टीम की जरूरत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सका। दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भारत ने मौके गंवाए। अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज से स्थिति बदलने की उम्मीद है। लेकिन, अगर बल्लेबाजी नहीं चली तो यह कठिन होगा। भले ही स्मिथ और वॉर्नर न खेल रहे हों।
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