वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले दो वनडे मैचों के लिए घोषित टीम में ऋषभ पंत के चयन से यह साफ हो गया है कि चयनकर्ता अब वर्ल्ड कप के लिए प्रयोग के आखिरी चरण में हैं। टेस्ट में अपनी आक्रामक पारियों के बल पर प्रभाव छोड़ने वाले पंत ने दिनेश कार्तिक की जगह ली है। संभवत: चयनकर्ताओं ने दिनेश कार्तिक को पर्याप्त देख लिया है। हालांकि, उन्हें आराम दिया गया है, जिसका मतलब है कि वे भी होड़ में बरकरार हैं, लेकिन अब उनको मौका तभी मिलेगा जब पंत खराब खेलें।
कुछ खिलाड़ियों की बदल सकती है भूमिका
इस परिवर्तन से कुछ खिलाड़ियों की भूमिका में बदलाव होने का संकेत भी मिला है। आक्रामक बल्लेबाजी और छक्का जमाने की काबिलियत की बदौलत पंत को फिनिशर के तौर पर आजमाया जा रहा है। इसका मतलब है कि वे विशुद्ध बल्लेबाज के रूप में नंबर छह या सात पर खेलेंगे। साफ है कि पंत बतौर बल्लेबाज प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए होड़ करेंगे। मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने स्पष्ट कर दिया है कि धोनी देश के सबसे प्रमुख विकेटकीपर हैं। यानी वर्ल्ड कप टीम में धोनी की जगह लगभग पक्की है। फिनिशर की भूमिका पंत जैसे बल्लेबाज को मिलने से धोनी के ऊपर दबाव भी कम होगा। धोनी अगर जल्दी फॉर्म में लौटते हैं तो इससे चयनकर्ताओं, टीम साथियों, फैंस और खुद धोनी को काफी राहत देगा।
पृथ्वी का प्रदर्शन काबिलेतारीफ
पंत का चयन टीम में आखिरी बड़ा बदलाव नहीं होने वाला है। युवा पृथ्वी शॉ जिन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर का धमाकेदार आगाज किया है वे भी वनडे में चयन के दावेदार होंगे। उम्र और अनुभव के लिहाज से शॉ अभी नए हैं, लेकिन दो टेस्ट में उन्होंने तारीफ के काबिल परिपक्वता दिखाई है। वे टेस्ट टीम में ऐसे फिट हुए मानों इसी के लिए बने हों। शॉ ने न सिर्फ अच्छी पारियां खेली हैं बल्कि उन्होंने तेज गति से रन बनाकर सबका दिल भी जीता है। वे लापरवाह पिंच हिटर नहीं हैं। उनकी बल्लेबाजी मजबूत तकनीक पर आधारित है, लेकिन वे निडर आक्रामक बल्लेबाज हैं जो आक्रमण को ध्वस्त कर सकते हैं।
पृथ्वी सीमित ओवर के लिए भी परफेक्ट
जैसा कि मुझे लगता है शॉ को शुरुआत में टेस्ट विशेषज्ञ समझा गया था, लेकिन उन्होंने वह कौशल दिखाया जिससे वे सीमित ओवर की क्रिकेट में भी फिट हो सकते हैं। इस समय शॉ को टीम में फिट करना आसान नहीं होगा। रोहित शर्मा और शिखर धवन बतौर ओपनिक जोड़ीदार काफी सफल हैं और टॉप ऑर्डर में जरूरत पड़ने पर लोकेश राहुल चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट की पसंद हैं। हालांकि, शॉ जैसे टैलेंट को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। मुझे लगता है कि चयनकर्ता शॉ को कुछ मैचों में आजमाना चाहेंगे। शायद वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में ही ऐसा हो जाए।
जडेजा के लिए जगह बनाना कठिन
रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने भी वनडे टीम में वापसी की है, लेकिन गेंदबाजी में स्पिन और पेस दोनों विभाग में प्लेइंग इलेवन में जगह बनाना काफी कठिन है। युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव ने खुद को टीम में स्थापित कर लिया है। ऐसे में जडेजा को तीसरे स्पॉट के लिए होड़ करनी है। मुमकिन है कि वर्ल्ड कप में तीसरे स्पिनर की जरूरत न पड़े, क्योंकि इंग्लैंड की पिचें स्पिनर्स के लिए बहुत मददगार नहीं हैं।
शमी के लिए चुनौतियां ज्यादा
मोहम्मद शमी को तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा क्योंकि जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार की जगह तय है। वर्ल्ड कप अब नौ महीने दूर है और भारत के पास उससे पहले 20 से कम मैच हैं। इसलिए जो कुछ जगह खाली है उसके लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होने वाली है। इसका मतलब है कि जिन्हें देर से मौका मिला है उन्हें तुरंत प्रभाव छोड़ना होगा।
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