अपनी तरक्की के लिए प्रयास आपको ही करने होंगे, बहाने नहीं, नतीजे दीजिए

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लाइफस्टाइल डेस्क. दफ़्तर के माहौल और लोगों के व्यवहार को समझना तथा अपनी तरक्की की राह बनाना रोज़ का संघर्ष है। लेकिन यह बेहतरीन सीख का जरिया भी है, जो आपकी समझ और प्रगति दोनों का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे बचने के बजाय, समझें।

  1. अच्छा और बुरा दिन किसी का भी हो सकता है और इसका असर किसी के भी व्यवहार में दिख सकता है। रोज़ न सही, लेकिन अगर कभी किसी के व्यवहार में परिवर्तन देखें, तो उसके व्यवहार को दिल पर न लें।

  2. कभी वातावरण में शोर या जो आपको न भाएं, ऐसी बातें हो रही हों, तो ख़ुद को शांत रखना थोड़ा मुश्किल होता है। पूरा ध्यान काम पर लगाएं। हो सके, तो सहकर्मियों से आवाज़ धीमी करने का निवेदन करें।

  3. कई दफ़ा ख़ुशमिज़ाज व्यक्ति के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलते हैं, जो उनके सामान्य व्यवहार से पूरी तरह अलग होते हैं। हो सकता है कि वह किसी निजी कारण से परेशान हो। ऐसे में ख़ुद को उनके रूखे व्यवहार की वजह मानने से बेहतर है सीधे बात करके सामने वाले की परेशानी जानें। इससे सामने वाले को भी अच्छा लगेगा और माहौल भी सकारात्मक बनेगा।

  4. ज़्यादातर नकारात्मक वातावरण का कारण सहकर्मी से तुलना करना भी हो सकता है। कई बार दो सहकर्मियों के काम को लेकर तुलना की जाती है। इसके कारण जानने की कोशिश करें। हो सकता है कि कार्य प्रदर्शन में कहीं आप अपेक्षित नतीजे न दे पा रहे हों। दूसरे की प्रशंसा क्यों की जा रही है, इसे भी समझें और बेहतर प्रदर्शन की चेष्टा करें। अगर संस्थान आपको बेहतर होने या आगे बढ़ने के अवसर दे रहा है, तो इसका उपयोग करें। बहुत सारे लोगों को तो मौक़े ही नहीं मिलते, इस बात का ध्यान रखें।

  5. यदि आप समय पर आकर अपना कार्य पूरा करते हैं और वक़्त पर घर लौटते हैं तो इसमें कहीं से कहीं तक कोई बुराई नहीं है। समय से आना और समय पर जाना गलत नहीं है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि आप अपना पूरा काम समय पर कर रहे हों।

  6. काम को बेहतर करने के लिए, अपने क्षेत्र में तरक्की करने का नज़रिया रखें। इससे केवल छवि ही नहीं संवरती, आगे बढ़ने की राह भी बनती है। यदि तरक्की पसंद नज़रिया नहीं होगा, आगे बढ़ने और अपने काम को बेहतर ढंग से करने के लिए आवश्यक जानकारी जुटाना मक़सद नहीं होगा, तो निश्चित रूप से ऐसा माहौल बनेगा, जो आपको परेशान करे।

  7. कार्यक्षेत्र चाहे कोई-सा भी हो, उसमें निरंतर दक्षता की ओर अग्रसर हुए बिना अपनी जगह नहीं बनाई जा सकती। सफल लोगों की हज़ारों मिसालें हैं, जो अपने काम में दिनों-दिन तरक्की केवल इसीलिए कर पाए क्योंकि वे हर काम को हर रोज़, हर क्षण बेहतर, और बेहतर करते गए।

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