बभनी क्षेत्र मे घटिया आइसक्रीम बनाने वाली कम्पनियों के द्वारा बांधी जा रही आंखों पर काली पट्टी

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)उमस भरी गर्मी शुरू होने व पारा चढ़ने के साथ ही बाजार में सस्ते दामों में बिकने वाली घटिया आइसक्रीम का भरमार हो गया है। ऐसे में बाजार में बिकने वाली सस्ती आइसक्रीम अगर आप अपने बच्चो को दिलाते हैं तो सावधान हो जाएं। क्यों कि कम दामों पर गली-मोहल्लों में बिकने वाली ऐसी आइसक्रीम में कपड़े रंगने वाला रंग ही नहीं, बल्कि पोस्टर कलर भी मिला हो सकता है।

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स्वाद व रंग के लिए सैक्रीन, घटिया रंग, फलों के सस्ते पल्प और हानिकारक मिल्क पाउडर डालकर तैयार की जाने वाली ऐसी आइसक्रीम के सेवन से बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। ऐसा नहीं है कि अवैध तरीके से संचालित और घटिया आइसक्रीम बनाने के इस गोरखधंधे की जानकारी सम्बन्धित सरकारी महकमों को नहीं है।
चिकित्सकों के मुताबिक ऐेसे रंग की आइसक्रीम के सेवन से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा होता है। खाद्य निरीक्षकों की माने तो क्रीम वाली आइसक्रीम में एगमार्क का मिल्क पाउडर इस्तेमाल किया जाना चाहिए पर सस्ती आइसक्रीम बेचने वाली कम्पनियां घटिया मिल्क पाउडर ही उपयोग करती हैं।
जिनमें मानक के अनुरूप न तो दो फीसदी फैट होता है और न ही निर्धारित मात्रा में प्रोटीन चिकित्सक बताते हैं कि यदि आइसक्रीम में दशमलव बाइस पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) से अधिक रंग है तो यह हानिकारक होगा। चिकित्सकों के मुताबिक ऐसी फैक्ट्रियों में तैयार आइसक्रीम के सेवन से हैजा, कालरा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
ऐसे में खाद्य सुरक्षा अधिकारी सोनभद्र बभनी थाना क्षेत्र के दरनखांड व परसाटोला (पोखरा) मे
बिना लाइसेंस वाली व मानक विहीन उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ जल्द कड़ी कार्रवाई करने की मांग क्षेत्रिय स्थानीय ग्रामिणो ने की है। परसाटोला  व दरनखांड मे इस समय बर्फ बनाने की फैक्ट्री जोरो से संचालित हो रही है। जो मानक को ताक पर रख कर चलाई जा रही है। स्थानीय ग्रामिणो ने बर्फ की गुणवत्ता की जांच कर कार्यवाही की मांग जिलाधिकारी व खाद्य निरिक्षक अधिकारी से की है।

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