लाइफस्टाइल डेस्क. कई बार छोटे बच्चे कुछ इस तरह की बात करते हैं कि हमें एकबारगी सच ही लगती है जिसे सुनने के बाद हम उसकी कही हर बात पर यकीन कर लेते हैं। लेकिन यदि आप उस बात की गहराई में जाएं तो जरूरी नहीं कि वह सच हो। पेरेंटिंग एक्सपर्ट डॉ. विनय मिश्रा के मुताबिक, ऐसे बच्चों की झूठ बोलने की आदत सुधराई जा सकती है, बस अपनाएं ये 7 आसान टिप्स।
- बातों को अनदेखा न करें : छोटे-छोटे झूठ को अनदेखा न करें। जैसे कि वह कई बार आपको खुश करने के लिए ही बोलता है कि मम्मी मैं तो इतनी देर से पढ़ ही रहा था। ऐसे झूठ में उसे समझाएं कि झूठ हर हाल में झूठ ही होता है।
- बातचीत कर समझाएं बच्चे को : समझाएं कि झूठ जो बोला जा रहा है उसकी जरूरत ही नहीं है। उसके झूठ पर विश्वास करके माता-पिता ज्यादा प्यार करेंगे, ऐसा नहीं है। यह बात अपने बच्चों को भलीभांति समझानी चाहिए।
- सकारात्मक रुख दिखाएं : अगर बच्चा कभी सच बोलता है और वह सच उसकी असफलता को बताता है तो भी उसे सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए। इस बात पर उसे डांटे या मारे पीटें नहीं। उसके सच्चे व्यवहार को पुरुस्कृत करें।
- सम्मान करना सीखें : सबके सामने बच्चे को एहसास न दिलाएं कि आप उस पर यकीन नहीं करते। कभी भी परिवार या दोस्तों के सामने उसके सम्मान को ठेस न पहुंचाएं। आपको उससे सम्मानपूर्वक बात करना चाहिए।
- अपेक्षाओं से बचें : जब पैरेंट्स बच्चों से ज्यादा अपेक्षा रखने लगते हैं तो वह झूठ बोलने लगता है। वह डांस भी करे, क्रिकेट भी खेले, उसकी राइटिंग भी ठीक हो। ऐसा संभव नहीं है। उसकी असफलताओं पर बिल्कुल हताश न हों।
- अतिश्योक्ति को समझें : बच्चे जो कार्टून देखते हैं या कहानियां सुनते हैं उनमें अतिश्योक्ति होती है। हर बात को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है। यह बातें मनोरंजक जरूर रहती हैं, लेकिन इसमें यथार्थ और काल्पनिकता कितनी है यह उसे बताएं।
- झूठ क्यों : बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बच्चे झूठ बोलते हैं। दरअसल उनकी इमेजिनेशन बहुत एक्टिव रहती है। उस इमेजिनेशन में हम सब ही उनकी काल्पनिक कहानियों का हिस्सा होते हैं। बच्चेफैंटेसी और रियलिटी के बीच भेद नहीं कर पाते। सही-गलत में आसानी से फर्क नहीं कर पाते। इसलिए न चाहकर भी उनकी बहुत सी बातें झूठी निकलती हैं।
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