तीन-तीन दिग्गजों ने एक साथ मिलकर की है बीजेपी घेराबंदी

तमन्ना फरीदी

लखनऊ।

भारतीय राजनीति में जाति को बहुत अहम माना जाता है. जाति और धर्म के आधार पर पार्टियां अपना उम्मीदवार तय करती रही हैं।
लगभग पूरे उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक धुव्रीकरण की कोशिश की जाती रही है. 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद बसपा का गढ़ कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां भाजपा ने क़ब्ज़ा किया था. वहीं, बड़े स्तर पर राय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान ‘श्मशान और क़ब्रिस्तान’ के नारे ने भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का काम किया.भारतीय राजनीति में दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर जाता है- ये कहावत जैसे बार-बार ख़ुद को साबित करती है. 2014 में बीजेपी ने यूपी की 71 सीटें जीतीं और लोकसभा में अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया. 2019 में उनकी वापसी भी बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वो यूपी में अपना प्रदर्शन कितना बेहतर बनाए रखते हैं. लेकिन इस बार उनके लिए पनघट की डगर बहुत कठिन हो सकती है. तीन-तीन (मायावती-अखिलेश यादव और अजित सिंह ) दिग्गजों ने वहां उनके ख़िलाफ़ एक साथ मिलकर घेराबंदी की है.
उत्तर प्रदेश मेें सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन ने अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए रविवार को अपनी पहली रैली सहारनपुर के देवबंद में की. बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया चौधरी अजित सिंह ने किसी चुनावी रैली में पहली बार मंच साझा करते हुए कहा कि इस बार चुनाव में गरीब, दलित तथा अल्पंसख्यक मिलकर जुमलेबाजों को सबक सिखाएंगे.
देवबंद की साझा रैली में बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा के साथ कांग्रेस को भी निशाने पर रखा. मायावती ने आरोप लगाया कि केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकार की ही तरह मौजूदा भाजपा सरकार ने दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम तथा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का कोई खास विकास नहीं किया. बिजनौर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बागपत और सहारनपुर लोकसभा सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में आयोजित इस संयुक्त रैली में मायावती ने मुस्लिम समाज से महागठबंधन के पक्ष में एकतरफा मतदान करने की अपील की.सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर देश में नफरत फैलाकर राज करने का आरोप लगाते हुए इस मौके पर कहा, ‘अंग्रेजों ने लोगों को बांटकर देश पर राज किया था, लेकिन उससे ज्यादा अगर कोई हमें बांट रहा है तो वह भाजपा के लोग हैं.’ अखिलेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महागठबंधन को ‘सराब’ बोलने वाले लोग सत्ता के नशे में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिछले साल हुए उपचुनावों में बसपा के एक-एक कैडर ने मदद की और हम चुनाव जीत गये, इस बार भी महागठबंधन का एक भी वोट घटने न पाये और एक भी वोट बचने न पाये.रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने दावा किया कि इस दफा चुनाव में भाजपा हारेगी ही नहीं, बल्कि उसका सूपड़ा साफ हो जाएगा. उन्होंने गन्ने के समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए कहा, ‘मोदी ने कहा था कि गन्ने का दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल होगा. मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी के शासन में गन्ना का दाम किसानों को मिलता था. आज अदालत के आदेश के बावजूद सरकार गन्ना मूल्य नहीं चुका रही है. मोदी और योगी किसान की फसल चर रहे हैं, सो अलग
सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में एनडीए को महागठबंधन की वजह से 2014 के मुकाबले काफी नुकसान होता दिख रहा है. महागठबंधन को यूपी में 44 जबकि एनडीए को 32 सीटें मिलने का अनुमान है, वहीं कांग्रेस को सिर्फ चार सीटों के साथ संतोष करना पड़ सकता है.
ये त्रिकोण सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को आगामी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर क्लीन स्वीप करने में मदद करेगा? अभी साफ़तौर पर ये नहीं कहा जा सकता है। महागठंधन ने जिस तरह से कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली सीट पर चुनाव न लड़ने का फ़ैसला लिया था. उसी तरह से कांग्रेस ने भी सात सीटों पर चुनाव न लड़ने का फ़ैसला लिया है जिनमें मुज़फ़्फ़रनगर और बागपत सीट शामिल है। 2014 में बीजेपी ने यूपी की 71 सीटें जीतीं थी पर इस बार 2019 बीजेपी का फिर से यूपी की 71 सीटें जीतना मुश्किल है।
तमन्ना फरीदी

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