-जामिया रिजविया मदरसे का जलसा-ए-दस्तारबंदी सम्पन्न
-पिरामिल फाउंडेशन ने जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति अल्पसंख्यकों को किया जागरूक
दुद्धी/सोनभद्र इंसान एक जिंदा लाश के समान है तालीम के बगैर। इल्म एक रौशनी और जेहालत एक अंधेरा है। इल्म तरक्की का एक पैगाम है। उक्त तकरीर कादरिया तालीमी ग्रुप के संस्थापक हजरत मौलाना नसीरुद्दीन साहब क़िब्ला ने मंगलवार की रात जामिया रिजविया मदरसा दीघुल के दस्तारबंदी (दीक्षांत) समारोह में बतौर मुख्य वक्ता कही। उन्होंने कहा कि आज के इस तरक्की याफ्ता भौतिक युग में दुनियां की सभी क़ौमें तालीम की अहमियत को तस्लीम कर चुकी हैं। लेकिन अफसोस कि कौमें मुस्लिम जिसके नाम खुदा का पहला पैगाम पढ़ने का आया, वो कौम आज भी तालीम के मैदान में औरों से बहुत पीछे है। मुसलमानों को सबसे पहले दीन का इल्म हासिल करना जरूरी है। इसीलिए तो अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि इल्म हासिल करना हर मर्द-औरत पर फ़र्ज़ है। कुरआन की तालीम को आम करने के लिए अल्लाह के रसूल ने हौसला अफजाई की मकसद से फरमाया कि सबसे अच्छा आदमी वह है जो खुद कुरान सीखे और दूसरों को भी सिखाये। इलाहाबाद से आये मौलाना मोजाहिद ने कहा कि इस्लाम दुनियां का वह पहला मजहब है, जिसने कानूनी तौर पर औरतों को जायदाद में हिस्सेदार ठहराया। भागलपुर के मौलाना जुनैद ने भी शिक्षा के उन्वान पर व्याख्यान दिया। गया के मुफ़्ती रेयाज ने अपनी तकरीर में इंसानो के प्रति हमदर्दी रखने की नसीहत दी। इसके पूर्व गया के शायर नसीमे शहर ने इमामे हुसैन पर मनकबत और शायर दिलकश रांचवी ने हुज़ूर की शान में नात पेश कर हजारों की संख्या में पहुँचे लोगों को इस्लामी रंग में सराबोर कर दिया। अंत में किछोछा शरीफ से तशरीफ़ लाये मुख्य अतिथि सैय्यद मजहरुद्दीन अशरफ ने कार्यक्रम से सफल आयोजन पर प्रधानाचार्य मु. सलीमुद्दीन और उनकी मुदर्रिसीन को मुबारकबाद देते हुए रूहानी दुआख्वानी की। सैय्यद साहब के दस्ते मुबारक से मदरसे से तालीम हासिल कर फारिग होने वाले 7 हाफिज और 32 कारी छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार व झारखंड से शिर्कत करने वाले हजारों अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नीति आयोग द्वारा संचालित जनस्वास्थ्य कल्याणकारी योजनाओं की बावत पिरामिल फाउंडेशन के ब्लाक परिवर्तन अधिकारी मु.अफसर व इंफ्लुएंसर मो.मंसूर ने जागरूक किया। संचालन बोकारो से आये मौ.हसन रजा अतहर ने किया। सुरक्षा की दृष्टि से कोतवाली के पुलिसकर्मी मौजूद रहे। इस दौरान प्रबंधक इस्लामुद्दीन, दुद्धी जामा मस्जिद के सदर मु.शमीम अंसारी, दीघुल सदर रहमुद्दीन, मौ.यूनुस, मौ.रियाज़, मौ.जियाउल मोबिन, मौ.क़याम, मौ.मुमताज़ सहित भारी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।