स्मार्ट बल्ब औसत एलईडी नहीं है। ये सिर्फ सॉकेट में फिट होकर रोशनी नहीं फैलाते हैं… इससे कहीं ज्यादा कर सकते हैं। इन्हें “स्मार्ट’ पुकारे जाने की वजह है कि ये सीधे फोन से कनेक्ट हो जाते हैं और इससे कई संभावनाओं केदरवाजे खुलते हैं…
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स्मार्ट बल्ब का बेसिक फीचर है डिम होना। इन्हें डिम करने केलिए किसी डिमर स्विच को इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती है। सिर्फ लैंप या झूमर में आपको ये बल्ब लगाना है और इससे जुड़ी एप से इसे डिम या तेज किया जा सकता है।
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कंट्रोल कई स्मार्ट बल्ब्स को आपके घर पर होने और न होने के अनुसार शेड्यूल किया जा सकता है। घर पर नहीं हैं, तो भी आप इन्हें कंट्रोल कर सकते हैं। सुरक्षा केलिहाज से यह कारगर तब साबित होता है जब आप शहर से बाहर लंबी छुट्टियां मना रहे हों। रोशन रहेगा तो घर खाली महसूस नहीं होगा। एक फायदा यह है कि दफ्तर से लौटते वक्त घर रोशन मिलेगा, लाइट ऑन छोड़ जाने से होने वाली एनर्जी की बरबादी रोक सकते हैं। ज्यादातर ब्रांड एक हब ऑफर करते हैं जिनसे तमाम लाइट्स एक साथ, एक एप से कंट्रोल की जा सकती हैं।
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कई स्मार्ट बल्ब रंग बदलने की खूबी रखते हैं। कुछ में तो 19 मिलियन रंग पैदा करने की क्षमता होती है। एप पर व्हील घुमाकर मनपसंद रंग चुना जा सकता है। सीरी या एलेक्सा की मदद से भी रंग बदल सकते हैं। रंग बदलने से कमरे के तापमान पर साफतौर पर असर होता है। थीम पार्टी हो या क्रिसमस… या फिर दीवार का रंग ही बोर कर रहा हो तो स्मार्ट बल्ब की ये खूबी बहुत काम आती है।
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स्मार्ट बल्ब केबिल्ट-इन स्पीकर्स इस समस्या से भी छुटकारा दिलाते हैं। यकीन मानिए, बल्ब से ही पार्टी की जा सकती है। ये संगीत तो सुनाएंगे ही, उसके अनुसार रंग भी बदलेंगे। कुछ बल्ब में तो बढ़िया क्वालिटी केस्पीकर्स भी आ रहे हैं जो तेज आवाज में संगीत सुना सकते हैं।
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“सीस्लीप’ जैसे प्रोडक्ट तमाम रंगों से तापमान तो कंट्रोल करते ही हैं, इन्हें ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह प्राकृतिक तरीके से शरीर में मेलाटॉनिन प्रोडक्शन बनाए रखते हैं। दिन के समय मेलाटॉनिन स्तर को दबाए रखने में स्मार्ट बल्ब मदद करते हैं जिससे नींद नहीं आती और रात को इनका स्तर बढ़ाने में सहायता करने लगते हैं।