जलवायु परिवर्तन के कारण 20 सालों बाद दुनिया के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में कहीं सूखा तो कहीं नमीं रहेगी

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साइंस डेस्क. अगले 20 सालों में बारिश के असमान वितरण के कारण कहीं पानी की अधिकता होगी तो कोई क्षेत्र सूखे से जूझ रहा होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के प्रमुख फसल उत्पादन क्षेत्रों में वर्षा का पैटर्न बदल सकता है। परिणाम के तौर पर ऐसे ज्यादातर उपजाऊ क्षेत्रों में अगले 20 सालों में सूखा पड़ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2040 तक गेहूं, मक्का, चावल और सोया के पैदावार वाली 14 फीसदी जमीन हमेशा के लिए सूख जाएगी। वहीं 31 फीसदी क्षेत्र ऐसे रहेंगे जहां पानी की अधिकता रहेगी, इसमें भारत शामिल है।

  1. इंटरनेशनल सेंटर ऑफ ट्र्रॉपिकल कल्चर और अमेरिका की चिली यूनिवर्सिटी की रिसर्च में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को आधार बनाया गया है। कम्प्यूटर की मदद से इन गैसों का धीरे-धीरे उत्सर्जन बढ़ने पर हाेने वाले नुकसान का विश्लेषण किया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि जब वर्षा के पैटर्न में निरंतर परिवर्तन होता है तो परिवर्तित हुआ वर्षा का वितरण स्थिर हो जाता है।

  2. वर्षा के असामान्य वितरण के कारण दक्षिणी-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिणी-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका और केंद्रीय मैक्सिको सूखे की ओर बढ़ रहा है। वहीं, भारत, रूस, कनाडा और पूर्वी अमेरिका में बारिश के कारण नमी अधिक रहेगी।

  3. शोध के मुताबिक, गेहूं की अधिक पैदावार वाले कई देशों को सूखे का सामना करना पड़ेगा इनमें ऑस्ट्रेलिया, अल्जीरिया, मोरोक्को, साउथ अफ्रीका, मैक्सिको और स्पेन शामिल है। विश्व के जिस हिस्से में कम बारिश होगी वो ऐसे देश हैं जो दुनियाभर का 11 फीसदी गेहूं और 8 फीसदी मक्के का उत्पादन करते हैं।

  4. ऐसे देश जहां 62 फीसदी गेहूं और 69 फीसदी मक्के की पैदावार होती है वो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से प्रभावित होंगे। उनके से कुछ हिस्से पहले से ही वर्षा के असमान वितरण से जूझ रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक, दुनियाभर में लोगों की कैलोरी का 40 फीसदी हिस्सा गेहूं, मक्का, चावल और सोया ही रहता है, इसलिए यह बात ज्यादा परेशान करने वाली है।

  5. वैज्ञानिकों का कहना है कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जो पहले से ही जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं। वहां वर्षा के पैटर्न में बदलाव एक पीढ़ी पहले ही शुरू हो चुका था। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि तेजी से होने वाले ऐसे बदलावों के कारण किसानों को भी खुद में बदलाव लाना होगा।

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      Changing rainfall patterns could threaten wheat corn and rice worldwide in 20 years

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